आँखों में आब कौन रखे
अपनी आँखों में आब कौन रखे
दर्दो ग़म का हिसाब कौन रखे
उसकी आँखें गज़ब नशीली हैं
पास अपने शराब कौन रखे
ज़िंदगी ने सिखाया है इतना
क्या पढ़ें अब किताब कौन रखे
बहते दरिया में पानी किसका है
अब भला ये जवाब कौन रखे
ख्वाहिशें आसमान छूने की
ऐसा वैसा खिताब कौन रखे
एक काफ़ी अगर ज़माने में
दूसरा आफताब कौन रखे
कुछ हैं पाबंदियाँ ज़माने की
वरना रुख पर नकाब कौन रखे
पाल कर बेसबब से शक दिल में
रिश्ते अपने खराब कौन रखे
सामने हो गुलाब सा चेहरा
जेब में फिर गुलाब कौन रखे
सबका ही इक सवाल है ‘सागर’
गलतियों पर हिजाब कौन रखे