Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2018 · 1 min read

आँखों की नमी

माँ की आँखों में नमी से क्या फर्क पड़ता है,
बेटा कहाँ इन बूढी आँखों को पढता है…

मीलों चलाया था, जिसे ऊँगली थाम कर,
उसे पैरों की लाठी का खर्चा बड़ा लगता है..

माँ की आँखों में…….

आज फिर बूढी माँ को ज़िंदा देख मुँह चिड़ा गया,
वो समझी, चश्में का नंबर बढ़ गया लगता है..

माँ की आँखों में…..

ये जहाँ ना था ,तो तेरी कोख ही थी आशियाना मेरा,
आज मेरे घर में ,तेरा छोटा सा इक कोना बड़ा अखरता है…

माँ की आँखों में……

ऐसी क्या बुलंदी पे बिठा दिया हे तुझको,

की चेहरे की दरारों का दिखना भी मुश्किल सा लगता हे..

माँ की आँखों में …..

तू अब बड़ा हो गया, या आदमी बड़ा हो गया,

खैर ! मुझे तो तेरे होने का एहसास ही बड़ा लगता है..

माँ की आँखों में नमी से क्या फर्क पड़ता है,

बेटा कहाँ इन बूढी आँखों को पड़ता है।

नाम – अमन शर्मा (उदयपुर)

10 Likes · 34 Comments · 888 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सही बेला में वापसी
सही बेला में वापसी
पूर्वार्थ
"युग -पुरुष "
DrLakshman Jha Parimal
दिल से पूछो
दिल से पूछो
Surinder blackpen
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
Dr Tabassum Jahan
कहने को हर हाथ में,
कहने को हर हाथ में,
sushil sarna
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
#अपनाएं_ये_हथकंडे...
#अपनाएं_ये_हथकंडे...
*प्रणय*
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
"रात भर"
Dr. Kishan tandon kranti
जन्मदिन शुभकामना
जन्मदिन शुभकामना
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
नाकामयाबी
नाकामयाबी
भरत कुमार सोलंकी
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
हैप्पी न्यू ईयर 2024
हैप्पी न्यू ईयर 2024
Shivkumar Bilagrami
जिंदगी रुठ कर इस कदर कहाँ जाएगी
जिंदगी रुठ कर इस कदर कहाँ जाएगी
VINOD CHAUHAN
हिंदी दिवस - विषय - दवा
हिंदी दिवस - विषय - दवा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पार्वती
पार्वती
लक्ष्मी सिंह
*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
Ravi Prakash
नमन साथियों 🙏🌹
नमन साथियों 🙏🌹
Neelofar Khan
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
Dr. Narendra Valmiki
हमारी जुदाई मानो
हमारी जुदाई मानो
हिमांशु Kulshrestha
4800.*पूर्णिका*
4800.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
देवी महात्म्य चतुर्थ अंक * 4*
देवी महात्म्य चतुर्थ अंक * 4*
मधुसूदन गौतम
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
राधा कृष्ण होली भजन
राधा कृष्ण होली भजन
Khaimsingh Saini
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
सब मुकम्मल है अपनी नज़रों में ।
सब मुकम्मल है अपनी नज़रों में ।
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
कवि दीपक बवेजा
कोई शक्स किताब सा मिलता ।
कोई शक्स किताब सा मिलता ।
Ashwini sharma
Loading...