आँखों का तारा (ए.पी.जे. अबदुल कलाम)
ना वो सिक्ख था ना ईसाई था
ना हिन्दू था ना मुसलमान था
ना वो बच्चा था, ना वो जवान था
वो तो बस
एक सच्चा इनसान था
भारत को दे गया वो मिसाइल
और खुद बन गया वो मिसाल
सभी की आँखों का तारा बन गया
अब भगवान का भी प्यारा बन गया
बच्चे, बूढ़े, जवान सभी
करते थे उसको प्यार
करते भी क्यौं न वो इंसान ही बेमिसाल था।
जहां नेताओं के दामन पर दाग हैं
घर अपना भरकर देश को खाते हैं
उसने दुनिया में खुशियां दीं, प्यार बाँटा
जनता को नहीं लूटा, देश को नहीं काटा
सियासत की इस भृष्टाचारी दुनिया में
कुर्सी छोड़कर खाली हाथ उठे थे
गीता, कुरान दोनों साथ थे
मजहब में नहीं बँटे थे।
मौत के आगे बेबस हैं सब
यह तो ज़िन्दगी के बाद आनी ही आनी है
झुठला नहीं सकते यह हकीकत
सभी की खत्म होनी कहानी है।
आज हर आँख में नमी है
अबदुल कलाम जी आपकी कमी है।
नहीं भूल पाएंगे हम आपको
पर पहले दिल यह तो मान ले
कि आप आज नहीं हैं।
दुनिया तो जैसे चल रही है
वैसे ही चलती रहेगी
देश को और हमको आपकी कमी
हमेशा खलती रहेगी
देश को और हमको आपकी कमी
हमेशा खलती रहेगी।
-रागिनी गर्ग