आँखें भर आई हैं
****आँखें भर आई हैं*****
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आज दिल में तन्हाई छाई है
लगता अपनों की रुसवाई है
अपना जाए दिल दुखता है
दुखदायी आज घड़ी आई है
अकेलापन सदा लोचता है
डराती अपनी ही परछाई है
दिल टूटे तो आँखें रोती हैं
आँखों के आँसू ही मोती हैं
अपनों बिना यहाँ अकेले हैं
तभी मेरी आँखें भर आई हैं
प्रेम बिना जीवन अधूरा है
अनुरागी बनो,यही दुहाई है
प्रेम हर जंग जीत जाता है
सुखविंद्र तो प्रेम पुजारी है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)