आँखें ( कुंडलिया )
आँखें ( कुंडलिया )
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आँखें बतलातीं सदा ,मन की सच्ची बात
जिह्वा शातिर है बड़ी ,दिन को कहती रात
दिन को कहती रात ,झूठ का जाल बिछाती
आँख बोलती सत्य , नहीं धोखा दे पाती
कहते रवि कविराय , मौन हैं लेकिन गातीं
आँखों में लो झाँक ,राज आँखें बतलातीं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451