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25 May 2024 · 1 min read

अ ज़िन्दगी तू ही बता..!!

अ ज़िन्दगी अब तो बता दे,

क्या हसरतें हैं तेरी

क्यूँ हर घडी इतने इम्तिहान लेती है मेरे

किस से इत्तिला करूँ

कितनी और तपस्या करनी होगी

आखिर जीने के लिए?

क्यूँ ज़हाँ कि हर सलाह

बेटी, बहन, पत्नी या माँ के लिए है?

क्या पुरुष जाती को इसकी ज़रूरत नहीं?

या फिर उसका फैसला कभी गलत नहीं हो सकता?

क्यूँ पुरुष ही घर का मुखिया होता है?

क्यूँ सबको पालने वाली माँ को ये हक नहीं?

क्यूँ बहन को हमेशा चारदीवारी में पाबंद कर दिया जाता है?

बस केवल कथित सम्मान के नाम पर

क्या उसका स्वयं कोई वर्चस्व नहीं?

क्यूँ उसके अधिकारों का इस कदर हनन होता है?

क्यूँ उसकी बुलंदियों को आसमान नहीं मिलता?

क्यूँ उसकी इच्छाओं का गला घोंट दिया जाता है?

अ ज़िन्दगी तू ही बता अब

और क्या रास्ता बचा है?

सवाल इतने है पर …

ज़वाब कोई नहीं आखिर क्यूँ?

©️ रचना ‘मोहिनी’

7 Likes · 6 Comments · 132 Views
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