अहोई आठे (बाल कविता)
बाल कविता : अहोई आठे
******************
दिवस अहोई आठे आया
माँ ने दिन भर कुछ न खाया
साँझ ढले ही बादल छाए
नभ में तारे दीख न पाए
जब तक तारे दीख न जाएँ
माँ की जिद है कुछ ना खाएँ
हम बोले माँ कितने प्यारे
हमें समझ लो नभ के तारे
*********************
रचयिता: रवि प्रकाश, रामपुर