Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2022 · 2 min read

अहीर छंद (अभीर छंद)

अहीर छंद—– ११ मात्रिक छंद
विधान–कोई भी कलन मापनी ले ,
चरणान्त:- जगण (१२१) अनिवार्य है ।
चार चरण , दो-दो सम तुकांत, या चारों सम तुकांत।

अहीर छंद { विधान )

मात्रा ग्यारह भार | अंतिम जगण विचार ||
बनता छंद अहीर | चार चरण तकदीर ||

अनुपम छंद अहीर | ग्यारह दिखे शरीर ||
अंतिम जगण प्रकाश | चारों चरण सुभाष ||

कहने में सुर ताल | करता छंद कमाल ||
दिखता मधुर प्रवाह | मानों मित्र सलाह ||

चरण समझकर चार | तुक को करें शुमार ||
दो-दो करें सुगान | अथवा एक समान ||√

सुभाष सिंघई
——————-
इस अहीर छंद को यदि किसी विषय को लेकर लिखा जाए , तब एक सार्थक तथ्य कहने का अवसर प्रवाह बनता है

अहीर छंद , बिषय–बोल

हो जाती जब रार | नहीं मिले उपचार ||
वचनों की तलवार | अंतस करे प्रहार ||

बोली का मधु घोल | होता है अनमोल ||
दिखती जहाँ दरार | भरता जाकर प्यार ||

कैसे हैं यह भाव | रखें मूँछ पर ताव ||
बनते हैं खुद राव | जाते देकर घाव ||

बोल में यदि मिठास | बनता दुश्मन खास ||
होता नहीं उदास | कहता कथन सुभास ||√

सुभाष सिंघई
———————————
अहीर छंद _ बिषय‌- पर्यावरण

करते पेड़ पुकार | विनती है शत बार |
करना अनुपम प्यार | मत करना संहार ||

जीवन में जलधार | करती है उपकार ||
करता बादल प्यार | जहाँ पेड़ भरमार ||

पर्यावरण सुधार | मन में भरे खुमार ||
शीतल मंद समीर‌ | हरण करे सब पीर ||

जंगल करे निरोग | बनते सुंदर‌ योग ||
सुष्मा हरित सुभोग | होते हैं खुश लोग ||

जंगल हुए विलीन | किए काटकर हीन ||
खुद की दौलत‌ छीन | लगता मानव दीन ||

सुभाष सिंघई
————
विषय – किसान

मन की बात बजीर | करते पेश नजीर ||
क्या भारत तकदीर | बदलेगी तदवीर ||

देखो आज किसान | कैसे देश महान ||
उसकी‌ मिटे न भूख‌ | दिखता तन मन सूख ||

कैसी अब सरकार | मँहगाई इस पार ||
मरते रहें किसान | जलते है शमशान ||

कागज पर दिन रात | चले घात पर घात | |
कौन करे अब बात | किसको कृषक सुहात ||

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आधार – अहीर छंद- 11-11 ( मात्रिक छंद)
चरणान्त:-प्रत्येक चरण के अंत में ( जगण १२१) अनिवार्य है ।
चार चरण , दो-दो सम तुकांत, या चारों सम तुकांत |
( अपदांत गीतिका )

खुद करते गुणगान , मैं हूँ खरा महान |
बनते स्वयं सुजान , रखते खूब गुमान ||

जिनके तुच्छ विचार , फैलाकर वह रार ,
दे उठते वरदान , जैसे हों भगवान |

देखा उन्हें टटोल , जिनका जरा न मोल ,
झूठा तना वितान , पूरे सकल जहान |

अंधी चलकर चाल , खुद को करें निहाल ,
कटुता का रस पान , बाँटे आकर दान |

जिनके नहीं उसूल , करते कर्म फिजूल ,
चौतरफा नुकसान , कागा काटत कान |

देखे तिकड़म बाज , रहें बजाकर साज ,
करते अटपट दान , फटी पेंट बनियान |

अपना लाकर ठोल , जिसमें अंदर पोल ,
पोलों में दिनमान | कहें ठोककर ज्ञान |√

सुभाष सिंघई

========================

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 2122 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तू है एक कविता जैसी
तू है एक कविता जैसी
Amit Pathak
चुनिंदा अश'आर
चुनिंदा अश'आर
Dr fauzia Naseem shad
तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे
Bodhisatva kastooriya
"धरती की कोख में"
Dr. Kishan tandon kranti
दूसरों को खरी-खोटी सुनाने
दूसरों को खरी-खोटी सुनाने
Dr.Rashmi Mishra
"यादों के झरोखे से"..
पंकज कुमार कर्ण
सत्य तो सीधा है, सरल है
सत्य तो सीधा है, सरल है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
पूरे 98.8%
पूरे 98.8%
*Author प्रणय प्रभात*
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
सुकून
सुकून
Neeraj Agarwal
अध्यात्म का शंखनाद
अध्यात्म का शंखनाद
Dr.Pratibha Prakash
बोलती आँखे....
बोलती आँखे....
Santosh Soni
वोटर की पॉलिटिक्स
वोटर की पॉलिटिक्स
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
DrLakshman Jha Parimal
💐प्रेम कौतुक- 292💐
💐प्रेम कौतुक- 292💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
तुंग द्रुम एक चारु🥀🌷🌻🌿
तुंग द्रुम एक चारु🥀🌷🌻🌿
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आलिंगन शहद से भी अधिक मधुर और चुंबन चाय से भी ज्यादा मीठा हो
आलिंगन शहद से भी अधिक मधुर और चुंबन चाय से भी ज्यादा मीठा हो
Aman Kumar Holy
बोला कौवा क्या करूॅं ,मोटी है आवाज( कुंडलिया)
बोला कौवा क्या करूॅं ,मोटी है आवाज( कुंडलिया)
Ravi Prakash
ठहर गया
ठहर गया
sushil sarna
चिंता अस्थाई है
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
dks.lhp
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
"द्वंद"
Saransh Singh 'Priyam'
यूं जो उसको तकते हो।
यूं जो उसको तकते हो।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ख्वाबो में मेरे इस तरह आया न करो
ख्वाबो में मेरे इस तरह आया न करो
Ram Krishan Rastogi
*प्रिया किस तर्क से*
*प्रिया किस तर्क से*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कर्म का फल
कर्म का फल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...