अहा! जीवन
मेरे -तेरे दिल की धडकन
ही सच्चा संगीत
जीवन की यह रीत।
मानव, पक्षी, फूल पत्तियां
सबमें उसका रूप
वही छांव और धूप।
कुछ मत बोलो
इन आंखों से
सब कुछ बोला जाता।
छिपा न कुछ रह जाता।
देने वाले की औकात नहीं ,
देखो जरा स्वभाव,
मुखरित होता भाव।
सच्चा प्रेमी वह जो
प्रिय की खुशियों में जीता है।
हंस कर गम पीता है।
आशा कोई रीति नहीं है
हिस्सा है जीवन का ।
टाॅनिक है हर मन का।
डा. पूनम पांडे