अहम की पोटली
सुनो
अहम की जो पोटली है तुम्हारे पास
फिरते हो जिसे लिये दिन रात
आज उसे खोल दो
ढूंढो कुछ एहसास होगें दबे इसमे
मिल जाये कुछ शब्द भी शायद
बटोर लो आज उनको
एक भाव भी होगा
बहुत नीचे दबा हुआ
आज सबको देखते है दुबारा
अहम की गांठ जो तुम लगाते हो
इनका दम घुटता है उसके नीचे
इन सबका आज इस्तेमाल करो
चलो कुछ बात करो