Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Dec 2019 · 2 min read

अहम्

उस दिन मै खिन्न मन से घर से निकला। मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। क्योंकि लोग मेरी बात मान नहीं रहे थे । और अपनी अपनी मर्जी की कर रहे थे।
मैं यूँँ ही चलता गया चलते चलते मैंने देखा कोई परछाई मेरा पीछा कर रही है। मैंने परछाई से पूछा भाई तुम कौन हो ? क्या तुम कोई भूत हो? जो मेरा पीछा कर रहे हो ? उसने कहा मैं भूत नहीं मैं तुम्हारा वर्तमान हूँँ। और वर्तमान में तुम्हारा अहम् हूंँ ।
तुम जहां जहां जाओगे मैं तुम्हारे पीछे चलूँँगा।
जब तक तुम मुझे छोड़ने का निश्चय नहीं कर लेते तब तक मैं तुम्हारे संग ही रहूँँगा । तुम्हारे मन की परेशानी के लिए मैं ही जिम्मेवार हूँँ । जब तक मैं तुम्हारे संग रहूँँगा तुम्हारी परेशानी खत्म नहीं होगी। दरअसल तुम्हारे सारी परेशानी की जड़ मैं ही हूँँ ।
जिसकी वजह से तुम्हारे संगी साथी तुम्हें अपनाने से कतराते हैं ।और तुम्हारी बातों को नहीं मानते। क्योंकि मैने तुम्हारे अंतःकरण में घर बना लिया है । जब तक मुझे इस घर से निकाल बाहर नहीं करते तब तक तुम्हें शाँँति नहीं मिल सकती ।
मेरी वजह से तुम दूसरों के तर्कों को नकार देते हो । और अपने तर्क को ही श्रेष्ठ मानकर दूसरों को उसका पालन करने के लिए बाध्य करते हो ।
जो उन्हें मान्य नहीं है । मेरी वजह से तुमने कई लोगों को अपना शत्रु बना लिया है । मेरी वजह से तुम्हारे सद्भाव में कमी आई है ।और तुम्हारे विचारों में दूसरों के विचारों का समावेश असंभव सा हो गया है ।
जिस कारण तुम अपने ही विचारों को ही श्रेष्ठ मानकर उसको प्रस्तुत करते हो । मेरे कारण तुम्हारी प्रज्ञा शक्ति प्रभावित होने लगी है । जिसका दूरगामी प्रभाव तुम्हारे व्यवहार पर पड़ने लगा है ।
लोग तुम्हें घमंडी और स्वार्थी समझने लगे हैं । यदि तुम अपने वर्तमान को सुधारना चाहते हो ।
और सौहार्द्र को बढ़ावा देना चाहते हो ।
तो तुम्हे अटल निश्चय लेकर मुझे त्यागना पड़ेगा ।
और सद्भाव को आगे बढ़ाकर शांतिपूर्ण और सह अस्तित्व के जीवन की परिभाषा को सार्थक करना होगा ।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 381 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
How to keep a relationship:
How to keep a relationship:
पूर्वार्थ
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
सबको   सम्मान दो ,प्यार  का पैगाम दो ,पारदर्शिता भूलना नहीं
सबको सम्मान दो ,प्यार का पैगाम दो ,पारदर्शिता भूलना नहीं
DrLakshman Jha Parimal
इसलिए कुछ कह नहीं सका मैं उससे
इसलिए कुछ कह नहीं सका मैं उससे
gurudeenverma198
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
Chunnu Lal Gupta
रमेशराज के 7 मुक्तक
रमेशराज के 7 मुक्तक
कवि रमेशराज
दृष्टिकोण
दृष्टिकोण
Dhirendra Singh
अहिल्या
अहिल्या
Dr.Priya Soni Khare
छूटा उसका हाथ
छूटा उसका हाथ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कर
कर
Neelam Sharma
, गुज़रा इक ज़माना
, गुज़रा इक ज़माना
Surinder blackpen
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
Acharya Rama Nand Mandal
राहों में
राहों में
हिमांशु Kulshrestha
प्रार्थना (मधुमालती छन्द)
प्रार्थना (मधुमालती छन्द)
नाथ सोनांचली
ये गजल नही मेरा प्यार है
ये गजल नही मेरा प्यार है
Basant Bhagawan Roy
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मोर
मोर
Manu Vashistha
राहतों की हो गयी है मुश्किलों से दोस्ती,
राहतों की हो गयी है मुश्किलों से दोस्ती,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
*चंद्रयान (बाल कविता)*
*चंद्रयान (बाल कविता)*
Ravi Prakash
इंद्रदेव की बेरुखी
इंद्रदेव की बेरुखी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
समाज को जगाने का काम करते रहो,
समाज को जगाने का काम करते रहो,
नेताम आर सी
"सुखद अहसास"
Dr. Kishan tandon kranti
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
Ranjeet kumar patre
दिल को एक बहाना होगा - Desert Fellow Rakesh Yadav
दिल को एक बहाना होगा - Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
आज कृत्रिम रिश्तों पर टिका, ये संसार है ।
आज कृत्रिम रिश्तों पर टिका, ये संसार है ।
Manisha Manjari
*अवध  में  प्रभु  राम  पधारें है*
*अवध में प्रभु राम पधारें है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सर्दी का उल्लास
सर्दी का उल्लास
Harish Chandra Pande
शीर्षक – वेदना फूलों की
शीर्षक – वेदना फूलों की
Sonam Puneet Dubey
Loading...