अहंकार
गुण प्रतिभा पद धन वैभव का, अहंकार आ जाता है
अहंकार का अंधकार, हर सदगुण को ढक जाता है
मैं ही सबसे श्रेष्ठ हूं जग में, भाव जब आ जाता है
इसी भाव के कारण अहंकारी, दुनिया से कट जाता है
मेलजोल घनिष्ठता सहस्णुता, घट जाती है
संतोष, कृतज्ञता, शालीनता, मर जाती है
अपनी अपनी गाता है, कामनाओं में फंस जाता है
नहीं कामना पूरी होती, क्रोध और बढ़ जाता है
अहंकार के कारण खुद, अपना अस्तित्व मिटाता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी