असफ़लताओं के गाँव में, कोशिशों का कारवां सफ़ल होता है।
कुछ खतों के मुक्कद्दर में, बस जेहन की ज़मीं होती है,
खंज़र जैसे हाथों में, जब लकीरों की कमी होती है।
खमोशिओं की गहराईयों में, शब्द निर्वस्त्र से पड़े होते हैं,
पर वास्तविकता की धूप में, शालीन दरख़्त से खड़े होते हैं।
पहाड़ों की ऊँचाइयों में, स्वछंद साँसों की कमी होती है,
और अस्तित्व की गोद में, निर्मल नदियों की नमी होती है।
टूटे तारों की आँखों में, क्षितिज़ का स्वप्न सजीव होता है,
विखंडित हृदय की राहों का तो हर सफ़र हीं अज़ीब होता है।
ज़िंदगियाँ हज़ारों के भीड़ में, तन्हाई की शिकार होती हैं,
बिख़रे शीशों के झरोखों में, तब खुद की तलाश होती है।
कश्तियों के सफर में, साहिलों का छूटना मज़बूरी होता है,
वर्त्तमान की भूमि में, अतीत का अनुभव जरुरी होता है।
इंद्रधनुष के रंगों में, ईश्वरीय कल्पनाएं थमी होती हैं,
अधूरी कहानियों की किताबों में, वक़्त की धूल जमी होती है।
मरुभूमियों के ताव में, मृगतृष्णा का जन्म होता है,
असफ़लताओं के गाँव में, कोशिशों का कारवां सफ़ल होता है।
कुछ बादलों के बाँहों में, बाऱिशों की कमी होती है,
मृत संवेदनाओं के बाज़ारों में, फिर भी कुछ उम्मीदें थमी होती हैं।