अस्पताल की विवशता
रोगी बिल्कुल अज्ञान में,
अस्पताल के दर्द से भरे किनारों में।
दवाओं की गोलियों से चिढ़कर
उम्मीद की किरणों के धुंध में।
डॉक्टरों की हवाओं में संघर्ष,
नर्सों की मुस्कान से लब में अर्ध।
आधारित है इस संघर्ष की यात्रा,
अस्पताल की विवशता की परिकल्पना में।
बिस्तर पर लेटे रहते हैं अपने स्वार्थों में,
काट रहे हैं दिन रात अपने दुखों में।
परन्तु विजय का सफर यहाँ से है,
अस्पताल की विवशता की परिकल्पना में।
संघर्ष की धारा अविरल है यहाँ,
संगिनी और विश्वास की बातें।
जीवन के नाटक में एक अद्वितीय चर्चा,
अस्पताल की विवशता की परिकल्पना में।
इस मंदिर में हर रोगी की अपेक्षा,
एक उम्मीद की झलक छिपी है।
जीवन की नई शुरुआत का संकेत,
अस्पताल की विवशता की परिकल्पना में।