‘अस्त्तित्व मेरा हिन्दुस्तानी है’
लहराते इस तिरंगे के पास, ना जाने कितनी हीं कहानी है,
लहू में लिपटे दीवानों के, कही-अनकही दास्तानों की ये निशानी है।
आँखों में यूँ हीं तो नहीं, वतन के इश्क़ की रवानी है,
इसकी धानी आँचल में हीं तो, खुद की पहचान को जानी है।
सदियों तक वीरों ने, आज़ादी के हक़ में दी हर कुर्बानी है,
रंगा रहे हर खेत हरा, इसलिए तो सीमाओं पर जागते सेनानी हैं।
हिमालय की ये ऊँचाइयाँ, सम्मान को बनाती आसमानी है,
यहां हर नदी संग बहता, बलिदानों का पानी है।
आजादी के नवउद्घोष पर, शान्ति के श्वेत-अलख को जलानी है,
स्वदेश के बहुमूल्य जज़्बे से, नफ़रत की दीवारों को गिरानी है।
स्वाबलंबन की धरा पर चलता, यूँ विकास इसका स्वाभिमानी है,
अपनत्व की मिसाल है ये और, हवाओं में प्रेम यहां रूहानी है।
लहराते तिरंगे की शान देखकर, गर्वित मन होता बेजुबानी है,
गूंजती है चहुंओर सदायें कि, ‘अस्त्तित्व मेरा हिन्दुस्तानी है’।