Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2019 · 1 min read

अस्तित्व

पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है और शीशे पर पत्थर पड़ते ही शीशा चूर-चूर बिखरता है ।
हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है और शीशा हर बार टूट कर यह प्रकट करता है कि वह टूटने के लिये ही बना है ।
इसी तरह कुछेक
पत्थर दिल इंसान दूसरों के शीशानुम़ा दिल को तोड़कर अपनी हस्ती काय़म करने की कोशिश में लगे हुए हैं ।
और कुछेक शीशे का दिल लिये हर बार टूटते बिखरते रहते हैं और हमेशा पत्थर से टक्कर लेने की कोश़िश करते रहते हैं ।
उन्हें पता नहीं की टक्कर लेने के लिए ठोस अस्तित्व की आवश्यकता होती है ।
जिससे उसके टुकड़े अपने अस्तित्व की रक्षा करते हुए टूट कर बिखरने न पाए ।
और उसके लिए आत्मविश्वास से परिपूर्ण दिल की जरूरत होती है ।
जो पत्थर दिल इंसानों का मनोबल हिला सकें
उन्हें उनके किये आघातों का अनुभव दिला सकें।और सिद्ध कर सकें कि अब ये शीशेनुमा दिल , पत्थरदिलों का मुकाबला कर सकते हैं ।
तथा उनमे दरार पैदा करके अपनी सामर्थ्य जता सकें।
कि अब पत्थरों दिन पूरे हो चुके हैं।
और पत्थरों को तोड़ने बिखराने के लिए मज़बूत दिल शीशे पैदा हो चुके हैं ।

Language: Hindi
482 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
जमाना खराब हैं....
जमाना खराब हैं....
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
सत्य न्याय प्रेम प्रतीक जो
सत्य न्याय प्रेम प्रतीक जो
Dr.Pratibha Prakash
रहस्य-दर्शन
रहस्य-दर्शन
Mahender Singh
"जय जवान जय किसान" - आर्टिस्ट (कुमार श्रवण)
Shravan singh
रिश्तों का एहसास
रिश्तों का एहसास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*उनकी है शुभकामना,मेरा बंटाधार (हास्य कुंडलिया)*
*उनकी है शुभकामना,मेरा बंटाधार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
@ खोज @
@ खोज @
Prashant Tiwari
दूर मजदूर
दूर मजदूर
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
सिसकियाँ
सिसकियाँ
Dr. Kishan tandon kranti
शबे दर्द जाती नही।
शबे दर्द जाती नही।
Taj Mohammad
सोच के रास्ते
सोच के रास्ते
Dr fauzia Naseem shad
गुलाबी शहतूत से होंठ
गुलाबी शहतूत से होंठ
हिमांशु Kulshrestha
2518.पूर्णिका
2518.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
#चिंतन
#चिंतन
*Author प्रणय प्रभात*
तुमसे मैं प्यार करता हूँ
तुमसे मैं प्यार करता हूँ
gurudeenverma198
कभी लगे  इस ओर है,
कभी लगे इस ओर है,
sushil sarna
!! उमंग !!
!! उमंग !!
Akash Yadav
संवेदनाएं
संवेदनाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
खामोशी ने मार दिया।
खामोशी ने मार दिया।
Anil chobisa
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
Shweta Soni
मृत्यु शैय्या
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
होली कान्हा संग
होली कान्हा संग
Kanchan Khanna
मेरा लेख
मेरा लेख
Ankita Patel
अपनी सोच
अपनी सोच
Ravi Maurya
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
Subhash Singhai
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
Loading...