असर-ए-इश्क़ कुछ यूँ है सनम,
असर-ए-इश्क़ कुछ यूँ है सनम,
कि मैं हो गया बिल्कुल गुम,
मैं तो मैं अब रहा ही कहाँ,
बस रह गईं बाक़ी तुम,
सूफियाना इश्क़ रंग लाया ऐसे,
कि मैं भी हो गया तुम,
मैं जैसा कुछ दिखता ही कहाँ अब,
बस दिखती हो तुम ही तुम,
है सच कि इश्क़ इबादत है अगर,
तो इबादत हो तुम ही तुम।
-अम्बर श्रीवास्तव