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26 Jun 2020 · 1 min read

— अश्क —

अश्क बहे और
बहते ही चले गए
हम आपकी याद
में बहते ही चले गए

सकूं दिल को न मिला
न कभी चैन मिला
आया हवा का एक झोंका
तो उस में उड़ाते ही चले गए

करवा यादों का
खाबों में भी न रूक सका
हम ने ने खुद को भी नहीं रोका
क्यूँ की हम तो थे आपके लिए बने

आखों से नीर का सैलाब
इस कदर उमड़ने लगा
सोचना भी कुछ चाहा तो न सोच सके
हम आज अपने ही आँखों
के समुन्दर में डूबते चले गए

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 253 Views
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