अश्क आँखों मे हमारे आ गए
ग़ज़ल
2122 2122 212
काफ़िया- आ
रदीफ़- गए
ख्वाब दिल पर यूँ हमारे छा गए।
अश्क आँखों में हमारे आ गए।
मिल सका वो साथ तेरा क्यो नही
आज मुझको ग़म वही तड़पा गए।
पूजती थी जो मुझे दिल के बसाकर
बेवफ़ाई कर मुझे ठुकरा गए।
आदतों से मैं तेरी बाक़िब नही
बेवफा बन रूप तुम दिखला गए।
छोड़ के तुम साथ मेरा चल दिए
ख़्वाब सारे दिल में^ ही दफना गए।
कह रहे “अभिनव” लगाना दिल नही
ये सबक़ मुझको सभी सिखला गए।
अभिनव मिश्र अदम्य