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30 May 2018 · 1 min read

अश्कों को ढल जाने दो

अश्कों को ढल जाने दो

मेरी आँखों से अश्क़ को ढल जाने दो।
गैरो ने नही मुझे तो अपनो ने रुलाया था।।।।

मग़रूर थे हम ही हमी से वो हमारे ही है।
मग़र गैरों और अपनो का फर्क आईने ने दिखाया था।

ढूंढने निकले थे दामन अपना भुला कर जहाँ में।
जिसको चाहा दिल से उसी ने सताया था।।।।

हर चाँदनी रात के साये में आँखों ने सजाये थे सपने।
उन्ही को तोड़ महबूब की याद में मैने पलकों को भींगाया था।।।।

जिसे समझा हर हाल में अपना ही साथी।
मग़र वो साया भी अंधेरा देख निकला पराया था।

दिल के बाग़ से फूल को उसके लिए सम्भाला था।
उसी के लिये हमने खुद को दुनियां की बद नज़रों से बचाया था।।।।।।।

बिन गलती के साथ उसने छोड़ा था हमारा।
सोनु ने हर बार प्रेम का रिश्ता उनसे निभाया था।।।

रचनाकार
गायत्री सोनु जैन
कॉपीराइट सुरक्षित

Language: Hindi
2 Likes · 303 Views

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