अवसाद।
मुश्किल है साथ हंसना किसी के,
हर बात है बनती विवाद,
चारों ओर है निराशा घोर,
है पल-पल का अवसाद,
दुनिया तो जन्म से पहले भी थी,
और रहेगी मरण के बाद,
आवेश के उन्माद में डूबा इंसान,
करता फिर भी फसाद,
स्थाई मान के जीवन को,
सब पालते मन में अवसाद,
छोड़ जाते फिर दुनिया एक दिन,
ले कर मन में अवसाद।
कवि- अम्बर श्रीवास्तव।