अवसर
अवसर, अवसर, अवसर
रहता सदा है, सिर को ढककर।
सदा ही ये चुप है रहता,
कभी किसी से कुछ न कहता
आता है ये सबके पास,
लगाकर अपने पाने की आस।
छोड़ेंगे हम इसको अगर,
भाग जायेगा यह अवसर।।
अवसर की है बात निराली
मुख पर रखता जुल्फे काली ।
दिखता नहीं इसका मुख
छुट जायेंं तो देता दुख।
पाने को इसे ना छुटे कसर।
अवसर है यह, है अवसर।।
है यह सदा अजर अमर
पास है इसके कई पर ।
छुट जाए उड़ जाए फुरर्र
बना दे सब खण्डहर।
“सन्जू” की सुनो ये खबर
इस पर रखो एक पैनी नज़र।
छुटे न जो यह अवसर
अवसर, अवसर है यह अवसर।।
संजय कुमार “सन्जू”