Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2024 · 2 min read

अवध

हैं राम राम का देश यही, तुलसी का है उपदेश यही।
यही भागीरथ परिपाटी है, हां यही अवध की माटी है।।
है धाम पुण्य यह धामो का, श्रीरघुवर के बलिदानों का‌।
यही सागर की ख्याति है, हां यही अवधि की माटी है।।

लहर रहा झंडा जो नभ में, है सनातनी संतानों का।
चुन चुन कर बदला लेंगे हम, हुए हुए अपमानों का।।
है ज्ञात नहीं तुमको, श्रीरघुवर की प्रभुताई का।
है ज्ञात नहीं तुमको, क्षत्रियों की ठाकुरई का।।

धरती से अंबर तक फैली, है जिसकी ख्याति।
गौर से देखो, यही है अवध की माटी।।

मुझे पता था,बात नहीं तुम मेरी मानोगे,
इस पुण्यधरा की मिट्टी को,कभी नहीं पहचानोगे।
लेकिन बतलाने आया हूं,तुमको बतलाकर जाऊंगा।।
अवध से मिट्टी लाया हूं, तुम्हें लगा कर जाऊंगा।

अरे मानते नहीं , मत मानो,,
सोने को कभी मत पहचानो,
नईया तेरी जीवन तेरा,,
एक पल निशा बिकट सी है,
दूजे पल स्वच्छ सवेरा है,,
नईया पार लगानी है ?
तो धर लो मस्तक पर इस मिट्टी को,,
ये राम लला का डेरा है।।

क्या इतने भी नेक कर्म ना तेरे ?
अवध धरा को चूम सके,,
हनुमानगढ़ी की गलियों में,
मतवाला होकर झूम सके,,
छोड़ो जाने दो, मुझको क्या ?

सोये हो सोये रहो , मुझको क्या ?
क्या मतलब मुझको तुमसे ?
तुम इस अंधकार में पड़े रहो।
अवध नगर से आया था,
सोचा कुछ खबर सुनाऊंगा,,
कान से तुम तो बहरे निकले,
बात अब किसे बताऊंगा।।

कनक भवन की सबरी मां,
हनुमानगढ़ी की सीढ़ी,,
सरयु माता का पावन जल,
रामलीला के मुखड़े की चमक,,
अब किसे दिखाऊंगा।
कान से तुम तो बहरे निकले,,
बात अब किसे बताऊंगा।।

देखना चाहते हो,तो ले चलता हूं,
तुमको अवध घुमाने मैं,,
किये गये अपराधों का,
पश्चाताप कराने मैं,,

क्या कहते हो डर लगता है ?
राम नाम की माला से,
रहते हो मदमस्त हमेशा।
हालाहल की प्याला से ।।
क्या पुण्य कर्म कुछ किया नहीं ?
बस पाप किये, मधुशाला से,,

मत घबराओ अबोध मानव,
ये बात जरा सा है,,
तनिक भी पुण्य नहीं है ?
बस पाप जरा सा है ?
धुल जाएंगे पाप सभी,
सरयु माता की घाटी में,,
चलो रामलला को देखो ।
श्रीअवध की माटी में।।

पलभर में नईया पार लगेगी।
राम नाम का गीत सदा ,
चिड़िया भी जहां है गाती,,
है प्रणाम आपको है अवध की माटी।
हां यही अवध की माटी।।

~विवेक शाश्वत 🖊️

99 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सत्य अमर है"
Ekta chitrangini
मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं
मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं
Neeraj Agarwal
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
शेखर सिंह
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
मेरी किस्मत
मेरी किस्मत
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
" लो आ गया फिर से बसंत "
Chunnu Lal Gupta
यूं अपनी जुल्फों को संवारा ना करो,
यूं अपनी जुल्फों को संवारा ना करो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
Shreedhar
मंजिलें
मंजिलें
Mukesh Kumar Sonkar
" टैगोर "
सुनीलानंद महंत
पुरखों के गांव
पुरखों के गांव
Mohan Pandey
भारत का अतीत
भारत का अतीत
Anup kanheri
कत्ल खुलेआम
कत्ल खुलेआम
Diwakar Mahto
4550.*पूर्णिका*
4550.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
पिताश्री
पिताश्री
Bodhisatva kastooriya
*युद्ध*
*युद्ध*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
खत और समंवय
खत और समंवय
Mahender Singh
You call out
You call out
Bidyadhar Mantry
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
नई खिड़की
नई खिड़की
Saraswati Bajpai
घर घर रंग बरसे
घर घर रंग बरसे
Rajesh Tiwari
चुप रहनेवाले को कमजोर नहीं समझना चाहिए
चुप रहनेवाले को कमजोर नहीं समझना चाहिए
Meera Thakur
" नजरिया "
Dr. Kishan tandon kranti
फिर वही
फिर वही
हिमांशु Kulshrestha
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कभी भी आपका मूल्यांकन किताब से नही बल्कि महज एक प्रश्नपत्र स
कभी भी आपका मूल्यांकन किताब से नही बल्कि महज एक प्रश्नपत्र स
Rj Anand Prajapati
Loading...