अवध में दीप जलायेंगे
अवध में दीप जलायेंगे
अनेक रश्मियां जगमग सी
नव पल्लव भी खिल जायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
अब न बैर,तिरस्कार होगा
नेह,प्रेम पुरस्कार होगा
पयोद दर्द के छँट जायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
अत्याचार, अवज्ञा से परे हो
मन मस्तिष्क पुनीत बने हो
मर्यादा आचरण सिखायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
दशानन का अब वध करके
जानकी संग प्रणय होवेगा
केसरी नंदन संग आयेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
वैदेही प्रसन्न, पूर्ण होगी
रघुनंदन संग यूँ प्रीत होगी
विरह क्षण तब समाप्त होंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
सज सँवर रहे घर व द्वारे
श्री राम जन जन ही पुकारे
पथ दीपमाला से सजेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
शबरी प्रतीक्षा रंग लाई
आभा नयनों में दिखलाई
सप्रेम जूठे बैर खायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
अहिल्या का अब उद्धार करने
शीला से काया मुक्त करने
नव स्वरूप दिला जायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
केवट के भाग्य को जगाने
विभीषण को राह दिखलाने
सुग्रीव को गले लगायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
कलयुगीन दानव संघारने
जन जन के कष्टों को मिटाने
उज्जवल रवि से जगमगायेंगे
आज फिर रघुवीर आयेंगे।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक