अवधपुरी है आस लगाए
अवधपुरी है आस लगाए
रामलला में रमने को
विश्व खड़ा है पलक बिछाए
भाग सदी का बनने को।
जगमग होगा भारत सारा
राम अवध में आएंगे
सरयू तट पर लाखों दीपक
जगमग जग कर जाएंगे।
और चल पड़ी जल की धारा
चरणामृत रस बनने को।
अवधपुरी है आस लगाए
रामलला में रमने को
विश्व खड़ा है पलक बिछाए
भाग सदी का बनने को।
तड़प रही है अवध की माटी
रामचरण की धूल बने
रामबाग की कलियां सोचें
पुष्प माल का फूल बने
काले बादल उमड़ रहे हैं
अवध धाम बरसने को।
अवधपुरी है आस लगाए
रामलला में रमने को
विश्व खड़ा है पलक बिछाए
भाग सदी का बनने को।
~माधुरी महाकाश