प्रेम
मैं उस शख्स से
कभी नहीं पाईं कि
मैं तुमसे बहुत प्यार
करती है
मगर फिर भी मैं
चाहती हूं कि
उसे पता रहे
कि मुझे इश्क है
उससे
जब तमाम दुनिया
नींद के आगोश में
होती है
मुझे उसके चेहरे की हंसी
उसकी आवाज में सुनाई
देती है
छूकर जाने वाली
हवा में घूली उसकी
सांसों की खुशबू
बिना जाने भी
महसूस कर लेती हूं
उसको जी भर देखा तक नहीं
मगर आज भी
वो चेहरा कहीं अंतस में बसा है
वो मेरा प्रेम है या इश्क
नहीं जानती
मगर मानती हूं कि
वो ऐसी भावनाओं समुंदर है
जो पहले कभी उफान पर नहीं था