“अल्फ़ाज़ मोहब्बत के” “अल्फ़ाज़ मोहब्बत के” बयां करने थे बस दो अल्फ़ाज़ मोहब्बत के, जुबां ने साथ न दिया, आँखें तुम पढ़ न पाए।