“अलबेली” इशारो रूपी वाणी….
इशारों की वाणी में सजता हैं रूप भाषा का
अगर न समझों भाषा तो… इशारोमें समझा देती हैं वाणी…!
ये तो हैं भाषा की मुँहबोली सहेली…
तभी तो समजे हैं हर भाषा की वाणी….!!
इशारा ही काफी हैं… जहाँ की हर जगा में,
हर एक जीव को भाती हैं… ये इशारो की वाणी..!!
न कोई भी अनजान हैं.. न किसी ने लिए हैं तालीम,
फिर भी… सभी को खूब हैं आती ये वाणी…!!
बीन कहे ही ये तो मर्म बताई…
ये हैं उत्तम भाषा की वाणी…!!
जग में हैं सभी को ये आती,
तभी तो हैं कहलाती ऐ ….
सभी भाषाओ की “अलबेली” इशारो रूपी वाणी…!!!!