अर्पित प्रेम
अर्पण ये तनमन
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अर्पण के तन मन से मां तेरे चरणन
जन्मदिन यह तेरा करें तेरा अर्चन
अहोभाग्य सबका पधारी स्वयं मां, त्रिलोकी स्वामिनी ममता की प्रतिमा। आंखों में करुणा क्षमा दिल में भरकर, लगता है निर्गुण सगुण रूप लेकर।।
हे आदि शक्ति करें तेरी भक्ति,
जानी स्वयं को तो मिल जाए मुक्ति।
कृपा तेरी ही से सहज ज्ञान पाया,
अंधेरा यह मनका तुम्हीं ने मिटाया।।
बना दो जगत को निर्मल रूप अपना,
हो पूरा हेमा तेरे नैनो का सपना।
सहज विश्व हो जाए सहाजी हर इक जन , खिले फूल निर्मल मेहक जाए गुलशन।।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर