अर्धांगिनी
सुबहो वाली आदित्य बनोगी
वंदन, अर्चन नित बनोगी
पहला मेरा दायितव्य बनोगी
मेरी पहली साहित्य बनोगी
राहों की राग्नि,जीवन की अर्धांगिनी
स्नेह प्रेम की वाणी,विवेक मन की ज्ञानी
मेरी मनमीत बनोगी
मेरी पहली साहित्य बनोगी
सुरमयी नैनो की कस्तूरी,
मेरे सार संसार की धूरी
मेरी साहस मेरी मजबूरी
हर लम्हा जरूरी, ऐसी गीत बनोगी
मेरी पहली साहित्य बनोगी