अर्द्धांगिनी
अर्द्धांगिनी
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अर्द्धांगिनी हो तुम अपने पिया की आधा हक तुमको मिलता है!
तो इस करवाचौथ ज़रा सा हक उनके नाम भी कर दो तो ?
सदा से पूरी करते आए हर बात तुम्हारी मनचाही वो
इस बार तुम भी उनका कुछ मनचाहा सा कर दो तो ?
कितने ही मौकों पर चटकीली साड़ी-सूट तुम्हें दिलवाए
इस बार कोई बढ़िया सी शर्ट तुम ही गिफ्ट कर दो तो ?
बेशकीमती गहनों के दे डाले उपहार तुम्हें यूं ही
इस बार तुम गोल्ड टाई पिन का सरप्राइज़ उनकी नज़र कर दो तो ?
अनगिनत खूबसूरत शामों की वो आऊटिंग तुम्हारी
इस खूबसूरत शाम के डिनर का बिल तुम ही भर दो तो ?
जल का पहला घूंट पिलाकर व्रत तुम्हारा संपूर्ण कराया
इस बार अपने उधरों से उसी व्रत का पहला चुंबन तुम उन पर अंकित कर दो तो ?
वो थाली से कौर खिलाते तुम्हें सबसे पहला
इस बार अपने हाथों से पहला निवाला उनकी ओर कर दो तो ?
अपना हक तो मांगती ही आई हो तुम हमेशा से
इसबार उनको भी उनके हक का कुछ उनके बिन मांगे ही दे दो तो ?
*कर के देखो, अच्छा लगेगा !
Enjoy this Festive season with this “अर्द्धांगिनी” spirit !?
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