Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2024 · 1 min read

अर्थी चली कंगाल की

अर्थी चली कंगाल की
हाय ! रे बेहाल की

चार जन उठाए हुए थे,
मंदी मंदी चाल थी।
नैनो से आंसू टपक रहे थे,
आंखें हो गई लाल थी ।।
अर्थी चली कंगाल की…..

दोस्त उनके जो कभी बिछड़ गए थे,
मजार पर आज उनकी भीड़ थी ।
मौन -विलाप सब कर रहे थे ,
घर रो रही बेचारी बीर थी।।
अर्थी चली कंगाल…..

हरी चूड़ियों से कभी हाथ सजाए थे,
आज मृत की छाती पर पड़ी थी।
जबरदस्ती तोड़ दी थी ,
मानो टूटी जंजीर थी ।।
अर्थी चली कंगाल की …….

लिटाया गया मृत को मजार पर ,
उपस्थित जनों ने दिल थाम कर।
दी मुखाग्नि मृतक के बड़े बेटे ने ,
कहर ढाह रही ये शाम थी।।
अर्थी चली कंगाल की ……..

भाई ने बांस फैंका मजार पर से,
खूब दहाड़ मार कर के ।
गलती हो तो माफ कर देना ,
छोड़ चले हमें निस्सहाय कर के।।
अर्थी चली कंगाल की …..

दिखावा करने वह लोग भी आये थे,
जिसने बीमारी पर पैसे लगाएं थे।
दिखावा कर सब रो रहे थे ,
पर चिंता थी ब्याज की ।।
अर्थी चली कंगाल की ……

सतपाल चौहान।

Language: Hindi

Language: Hindi
3 Likes · 160 Views
Books from SATPAL CHAUHAN
View all

You may also like these posts

सो कॉल्ड अन्तराष्ट्रीय कवि !
सो कॉल्ड अन्तराष्ट्रीय कवि !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
"मीरा के प्रेम में विरह वेदना ऐसी थी"
Ekta chitrangini
मैं नारी हूं
मैं नारी हूं
Mukesh Kumar Sonkar
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
ruby kumari
*हिंदी दिवस मनावन का  मिला नेक ईनाम*
*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
self doubt.
self doubt.
पूर्वार्थ
विवशता
विवशता
आशा शैली
मजबूत रिश्ता
मजबूत रिश्ता
Buddha Prakash
वो इँसा...
वो इँसा...
'अशांत' शेखर
अधखिली यह कली
अधखिली यह कली
gurudeenverma198
” कुम्हार है हम “
” कुम्हार है हम “
ज्योति
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कल्पना
कल्पना
Ruchika Rai
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
"प्रश्नों के बाण"
DrLakshman Jha Parimal
●व्हाट्सअप ब्रांड●
●व्हाट्सअप ब्रांड●
*प्रणय*
मुझे ताज महल नहीं चाहिए
मुझे ताज महल नहीं चाहिए
Jyoti Roshni
संभव है तुम्हें मेरे जैसे अनेकों लोग मिल जायें, पर ध्यान रहे
संभव है तुम्हें मेरे जैसे अनेकों लोग मिल जायें, पर ध्यान रहे
इशरत हिदायत ख़ान
****बारिश की बूंदें****
****बारिश की बूंदें****
Kavita Chouhan
4407.*पूर्णिका*
4407.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
4. *वक़्त गुजरता जाता है*
4. *वक़्त गुजरता जाता है*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सफलता की ओर
सफलता की ओर
Vandna Thakur
मजदूर
मजदूर
Vivek saswat Shukla
मालती सेवैया
मालती सेवैया
Rambali Mishra
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
संगम
संगम
श्रीहर्ष आचार्य
मोहब्बत जब होगी
मोहब्बत जब होगी
Surinder blackpen
माँ
माँ
Ruchi Sharma
दीवाना - सा लगता है
दीवाना - सा लगता है
Madhuyanka Raj
Loading...