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7 Sep 2022 · 1 min read

*अर्जी तुझे बुलाने की (भक्ति गीत)*

अर्जी तुझे बुलाने की (भक्ति गीत)
____________________________
अर्जी तुझे बुलाने की, भगवन मैं रोज लगाता
मर्जी जब होती तेरी, केवल तब ही तू आता

टूटी-फूटी भाषा है, मुझको शुभ मंत्र न आते
मुझसे सोने-चाँदी के, पूजाघर कब बन पाते
मैं ठहरा सीधा-सादा, बस यूँ ही तुझे बुलाता

खर्च बुलाने में तुझको, कब एक रुपै का आया
केवल भावों की पूँजी, जिससे है तुझे बुलाया
जब मैं तुझे बुलाता हूँ, जाने तू क्यों आ जाता

तेरे संग गुजरते हैं, जो क्षण वह बड़े नशीले
नशा वही समझेगा जो, तेरी मदिरा यह पी ले
तेरे आने में मस्ती, तू मस्ती बनकर छाता
अर्जी तुझे बुलाने की, भगवन मैं रोज लगाता
मर्जी जब होती तेरी, केवल तब ही तू आता
——————————————-
रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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