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23 Aug 2018 · 1 min read

‘अर्चना’ साथ ताल देती है

जीस्त मुश्किल सवाल देती है
हमको उलझन में डाल देती है

ज़िन्दगी इम्तिहान लेने को
खुद बिछा कितने जाल देती है

ये मुहब्बत ही है जो हर बिगड़ी
बात को भी सँभाल देती है

ज़िन्दगी भी हसीन से सपने
आँखों में मुफ्त पाल देती है

तोड़ती पल में साँसों से रिश्ता
मौत भी कर कमाल देती है

वक़्त के सुर जो सुर सजाते हैं
‘अर्चना’ साथ ताल देती है

23-08-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 194 Views
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