अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
गलती किसी की, बताया किसी और का जा रहा है,
एक बार फिर, किसी और पर उँगली उठाया जा रहा है।
वे अंजान हैं, ना साज़िश रचो तुम, ना बदनाम करो उन्हें,
उनकी मेहनत पर सवाल, छुपे चेहरों द्वारा ही उठाया जा रहा है।
मेरे शब्दों में तु्म्हें, वे नज़र आते हैं , तुम ख़ुद क्यों नहीं ?
यह बात खुद से क्यों नहीं, बार-बार बताया जा रहा है।
उनके भोलेपन और सादगी का फ़ायदा ना उठाओ इस तरह,
आख़िर किसके लिए राजनीति का यह बिसात बिछाया जा रहा है!
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत,
वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।