— अरे रोते क्यूं हो —
अक्सर एक बात देखी है मैने
क्या कभी आपने देखी है ??
लोग खुशहाल होकर भी
न जाने क्यूं रोते हैं !!
सब कुछ होते हुए भी
बेवजह का दुखड़ा रोते हैं
समझ नही पाया आज तक कि
क्या वो लाचार हैं ? या दिखाते हैं !!
कौन उन से कुछ लेने जा रहा
न जाने क्यूं आँसू टपकाते हैं
मुझ को लगता है ऐसा
जैसे वो ढोंग अपना रचाते हैं !!
शुक्र मनाओ हर दिन रब का
जिस के सहारे सब चल पाते हैं
तुम्हारे रोने से क्या होगा लोगो
क्यूं नही खुश होकर जी पाते हों ?
अजीत कुमार तलवार
मेरठ