अरे! मुनव्वर भाई आदाब(कविता)
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अरे! मुनव्वर भाई आदाब
असली चेहरा हटल नकाब
हामिद अंसारी के भाइ
देखल दुनिया तोहर ढिठाइ
उर्दूकें तों बड़का शायर
तोरा सन नहि दोसर कायर
आतंकीकें दै छें साथ
आब नै चलतौ कोनो लाथ
यूपीमे लागै छौ डर
मोन मस्तिष्कमे छौक ज़हर
लखनऊमे भेल एफआईआर
अपन वेयानसँ पलटीमार
आब बुझवऽ तों महिरम राणा
योगीक डरसँ मरतहु नाना
धिक धिक अधम मुनव्वर राणा
पैजामा मे भेलहु पैखाना
तोहर आइडियल तालिबान
नीक नै लगतौ हिन्दुस्तान
वसि जो जा कऽ तों अफगान
कर आतंकी केर गुणगान
कलम छोड़ि दे हिंदुस्तान
बारूद लऽ घुमिहें अफगान
अन्त होयत पुनि तालिबान
चटिहें थूक,पकड़ि कऽ कान
अपन प्रतिष्ठा कयलें नाश
करत तोरा पर के विश्वास?
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