Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2024 · 1 min read

अरे कुछ हो न हो पर मुझको कुछ तो बात लगती है

गज़ल

1222/1222/1222/1222
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कुछ तो बात लगती है
भले सब कुछ दिखाई दे रहा हो रात लगती है।

विरह की वेदना में अश्रु झर झर झर झरा करते,
चाहे कितना भी सूखा हो हमें बरसात लगती है।

बिना मेहनत मिले कुछ भी गवारा हो नहीं सकता,
ये इक अहसान करके दी गई सौगात लगती है।

कभी लंका कभी है पाक बॅंगला देश अब सोचो,
रहो चौकस मुझे साजिश या कोई घात लगती है।

जहां सौहार्द भाईचारा औ’र है प्यार आपस में,
वहां पर जिंदगी यारो हसीं नग़मात लगती है।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

97 Views
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all

You may also like these posts

4468 .*पूर्णिका*
4468 .*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
- बस कुछ दिन ही हुए -
- बस कुछ दिन ही हुए -
bharat gehlot
हरियाली तीज
हरियाली तीज
SATPAL CHAUHAN
आज का इंसान
आज का इंसान
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
परोपकार!
परोपकार!
Acharya Rama Nand Mandal
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
Kumar lalit
रिश्ते चाहे जो भी हो।
रिश्ते चाहे जो भी हो।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जिंदगी खेत से
जिंदगी खेत से
आकाश महेशपुरी
*हाथी*
*हाथी*
Dushyant Kumar
रिश्तों का बदलता स्वरूप
रिश्तों का बदलता स्वरूप
पूर्वार्थ
मुझे श्रृंगार की जरूरत नहीं
मुझे श्रृंगार की जरूरत नहीं
Jyoti Roshni
तीसरी आंख को समझने के सरल तरीके, और जागृत कैसे करें, लाभ व उद्देश्य। रविकेश झा
तीसरी आंख को समझने के सरल तरीके, और जागृत कैसे करें, लाभ व उद्देश्य। रविकेश झा
Ravikesh Jha
ऐतबार
ऐतबार
Ruchi Sharma
पिता
पिता
Swami Ganganiya
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
Neelam Sharma
सदियों से कही-सुनी जा रही बातों को यथावत परोसने और पसंद करने
सदियों से कही-सुनी जा रही बातों को यथावत परोसने और पसंद करने
*प्रणय*
श्री राम अयोध्या आए है
श्री राम अयोध्या आए है
जगदीश लववंशी
आओ हम सब प्रेम से, बोलें जय श्रीराम
आओ हम सब प्रेम से, बोलें जय श्रीराम
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
"सैनिक की चिट्ठी"
Ekta chitrangini
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
डॉ. दीपक बवेजा
तन्हाई में अपनी
तन्हाई में अपनी
हिमांशु Kulshrestha
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
Sonam Puneet Dubey
राख के धुंए में छिपा सपना
राख के धुंए में छिपा सपना
goutam shaw
" लम्हें "
Dr. Kishan tandon kranti
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
फकीरी
फकीरी
Sanjay ' शून्य'
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
माता शारदा
माता शारदा
Rambali Mishra
Loading...