Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2018 · 1 min read

** अरुणोदय **

मेट स्याह रातों की कालिख रवि उदित होता देखो
कवि-हृदय- प्रकाश देखो रश्मिरथी सूरज को देखो
धीरे-धीरे आता है वह सागर के तट से उबर- उबर
कर किरणें फैलाता अपनी धरा-धरा अम्बर-अम्बर
अलस प्रकृति धीरे-धीरे उठ-उठ उर-आँचल-समेटे
ओंस बिंदुओं से मुख धोती आँखे मलती धीरे- धीरे
रातों को सोकर है जागी हुआ प्रातः अब धीरे- धीरे
मानव नित्य कर्म कर चलता कर्म-पथ पर धीरे धीरे
स्वस्थ-पान-पथ तीरे- 2 कुछ लोग टहलते धीरे-धीरे
सूरज आता लाता सुख-स्वास्थ्य लाभ सब धीरे-धीरे
बीजवपन काल है आया बरखा-हवा के संग – संग
सूर्य-किरण-धूप धरा बीज अंकुरित होता धीरे-धीरे
तेज-तपन बढ़ती रश्मिरथी क्षितिज से ऊपर आता
श्रांत-क्लांत मानव क्षुधा-तृसा-आकुल हो कर तब
तन-भूख-प्यास मिटा क्षणिक विश्राम करता मानव
फिर पुनः अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ जाता है मानव
सूरज की तेज तपन से होती है धरा भी व्याकुल तब
घिर आते है मेघ सघन आतप दूर भगाने को तब तब
शीतल होती धरती माँ की छाती पा अमृत वर्षाजल
प्यासे पशु-पंक्षी अर मानव तब अपनी प्यास बुझते हैं सन्ध्या कुछ कम होता क़ातिल किरणों का आतंक
चलते पशु-पक्षी-मानव निज-घर को हो शिथिल अंग
फिर अवसान होता रवि-रश्मि का रवि-संग धीरे-धीरे
छुपता रश्मिरथी क्षितिज तले विश्राम पाने धीरे- धीरे
आता रश्मिरथी सागर-तीरे अरुणोदय होता धीरे धीरे।।
मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 462 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
सावन बरसता है उधर....
सावन बरसता है उधर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मूहूर्त
मूहूर्त
Neeraj Agarwal
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
VINOD CHAUHAN
मैं तो निकला था,
मैं तो निकला था,
Dr. Man Mohan Krishna
ममता
ममता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
बुरा न मानो होली है (हास्य व्यंग्य)
बुरा न मानो होली है (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
Er.Navaneet R Shandily
"वचन देती हूँ"
Ekta chitrangini
काश कि ऐसा होता....
काश कि ऐसा होता....
Ajay Kumar Mallah
23/46.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/46.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
शेखर सिंह
dr arun kumar shastri -you are mad for a job/ service - not
dr arun kumar shastri -you are mad for a job/ service - not
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आप अपनी नज़र से
आप अपनी नज़र से
Dr fauzia Naseem shad
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
🪸 *मजलूम* 🪸
🪸 *मजलूम* 🪸
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
* खूब खिलती है *
* खूब खिलती है *
surenderpal vaidya
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
Anil Mishra Prahari
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
करें आराधना मां की, आ गए नौ दिन शक्ति के।
करें आराधना मां की, आ गए नौ दिन शक्ति के।
umesh mehra
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
Vaishaligoel
Exhibition
Exhibition
Bikram Kumar
■ कृतज्ञ राष्ट्र...
■ कृतज्ञ राष्ट्र...
*Author प्रणय प्रभात*
बूढ़ी माँ .....
बूढ़ी माँ .....
sushil sarna
, गुज़रा इक ज़माना
, गुज़रा इक ज़माना
Surinder blackpen
9-अधम वह आदमी की शक्ल में शैतान होता है
9-अधम वह आदमी की शक्ल में शैतान होता है
Ajay Kumar Vimal
दिल का मौसम सादा है
दिल का मौसम सादा है
Shweta Soni
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
Annu Gurjar
विश्व पुस्तक मेला
विश्व पुस्तक मेला
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...