अरमान बहुत है
सदियों से कमरे में बंद ,बीमार बहुत है
किबाड़ खोल के देखें, अंधकार बहुत है
कोने कोने में उग आई है फंफूद
धूप लगा कर देखें दुर्गन्ध बहुत है
सडी गली पड़ी हुई है सोच
थोड़ा इसे बदल के देखें ,आसान बहुत है
दुनिया के दस्तूर बहुत निभा लिए
अब मन की कर के देखें,अरमान बहुत हैं
समझदारी को कुछ देर छुपा लो
बारिश में भीग के देखें, थकान बहुत है
सीमा कटोच