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3 Jun 2018 · 1 min read

अरमान जिंदा हैं

अरमान जिंदा हैं
***************
उम्र भले ही ढल रही अरमान हमारे जिंदा है।
मुहब्बत के शहर का हम भी तो बाशिंदा है।

सोचा था उन बच्चों ने
किनारा कर हताश कर देंगे
खुद से जुदा कर बृद्धाश्रम में
वे हमें निराश कर देंगे।
बृद्धाश्रम में आकर भी यहाँ
हम दोनों सबसे चुनिंदा है।

उम्र भले ही ढल रही अरमान हमारे जिंदा हैं।
मुहब्बत के शहर का हम भी तो बाशिंदा हैं।

हमने उम्र गुजार दी जीवन
उनका सुंदर सहज बनाने में
बच्चे शिद्द्त से लग गये
हमारा अस्तित्व मिटाने में
हम इंसान नहीं कोई जैसे
उनके जीवन में बस निन्दा है।

उम्र भले ही ढल रही अरमान हमारे जिंदा है।
मुहब्बत के शहर का हम भी तो बाशिंदा है।

संतति सवारने उम्र लगादी
उन्हें जी भर प्यार न किया
इस जमाने ने बदले इसके
आखिर अबतक हमें क्या दिया
साथ रखकर हमें नजाने आज
क्यों ? वो हम से शर्मिंदा हैं।

उम्र भले ही ढल रही अरमान हमारे जिंदा हैं।
मुहब्बत के शहर का हम भी तो बाशिंदा हैं।

**********
✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
Tag: गीत
216 Views
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