अम्मा याद बहुत आती है
अम्मा याद बहुत आती है
बचपन की वह प्रीति मनोहर
मेरा अंतस सहलाती है
अम्मा या द बहुत आती है
मल मल कर नितप्रति नहलाना
लोरी गाकर नित्य सुलाना
रोटी मे मक्खन का लेपन
कर खाने को तरसाती है
अम्मा याद बहुत आती है
पीछे पीछे दौड़ लगाना
ठोकर खा नीचे गिर जाना
उठा गोद मे चुम्बन लेना
यादें मुझे रुला जाती हैं
अम्मा याद बहुत आती है
माँ तू अविरल धार प्रेम की
चिंता करते योग क्षेम की
इतने वर्षों बाद आज भी
सुस्मृति नही भुला पाती है
अम्मा याद बहुत आती है
जग का ज्ञान कराया तूने
भटका तो समझाया तूने
तेरी डपट आज भी मुझको
सही मार्ग ही बतलाती है
अम्मा याद बहुत आती है
पंख धरा से उड़ने वाले
आसमान से जुड़ने वाले
मिले तुम्हींंसे नारी अबला
बातें ये झुठला जाती हैं
अम्मा याद बहुत आती है
मधुसूदन दीक्षित
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फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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