*अम्मा जी से भेंट*
अम्मा जी से भेंट
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अम्मा जी (श्रीमती उषा देवी) से लखनऊ में 30 सितंबर 2023 शनिवार को भेंट हुई। आगामी दिसंबर में वह 87 वर्ष पूर्ण करके 88 वें वर्ष में प्रवेश करेंगी। वृद्धजनों से मिलकर आनंद तो होता ही है, लेकिन जब उन्हें सब प्रकार से स्वस्थ और सक्रिय देखता हूॅं तो यह आनंद अनेक गुना बढ़ जाता है।
अम्मा जी उत्साह और स्फूर्ति से भरी हुई हैं। मन और मस्तिष्क दोनों से पूरी तरह सक्रिय। जबकि साठ के बाद सत्तर आते-आते लोग स्वास्थ्य के ढलान पर तेजी से उतरने लगते हैं। अम्मा जी के स्वास्थ्य का रहस्य जीवन में अनुशासन का पालन करने में छुपा है। समय पर सोना और समय पर भोजन करना आपकी दिनचर्या है ।भोजन में भी नपा-तुला ग्रहण करना आपका स्वभाव है।
प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र के 108 जाप तथा गायत्री मंत्र के भी 108 जाप सहित संध्या करना आप कभी नहीं छोड़तीं । प्रत्येक शुक्रवार को महिला आर्य समाज, सदर लखनऊ में जाकर यज्ञ में भाग लेना आपकी नियमित गतिविधि का एक स्थाई अंग है। ‘यज्ञ में भाग लेना’ शायद सटीक शब्द नहीं होगा । वस्तुत आर्य समाज की गतिविधियों को संचालित करने का दायित्व आपके ऊपर ही बना हुआ है।आप महिला आर्य समाज सदर लखनऊ की अध्यक्ष लंबे समय तक रहीं। अब जब पद छोड़ा है , तो भी सक्रियता में कोई कमी नहीं आने दी। कार में बैठकर ड्राइवर के साथ अकेले महिला आर्य समाज प्रत्येक शुक्रवार को जाना आपका नियम है।
आर्य समाज से अम्मा जी का जुड़ाव बचपन से ही रहा। आपके पिताजी आर्य समाज, आसनसोल (पश्चिम बंगाल, सीमावर्ती क्षेत्र बिहार) के अध्यक्ष थे। इस नाते आर्य समाजी चिंतन और व्यवहार आपके जीवन में दिनों-दिन दृढ़ होता चला गया। ईश्वर के निराकार स्वरूप को मानने का भाव आपके अंदर कूट-कूट कर भरा है।
आपका स्वभाव सर्व समावेशी है। आप सर्वप्रिय हैं। सभी की अच्छी बातों की प्रशंसा करना आपका स्वभाव है। सब प्रकार की विचारधाराओं और भावनाओं का आदर करते हुए उनके साथ सामंजस्य बिठाना आपके स्वभाव की निपुणता है। आप पाक-कला में भी पारंगत हैं। आठ प्रकार की आलू की सब्जियॉं बनाना आपको आता है। तात्पर्य यह है कि संसार में आप इस प्रकार जीवन जीती हैं कि एक घरेलू महिला के समान घर के प्रत्येक कार्य में आपकी रुचि रहती है, तो दूसरी ओर जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य आत्मभाव की खोज करने के लिए आप निरंतर प्रयत्नशील हैं।
पिछले वर्ष अर्थात अप्रैल 2022 में महिला आर्य समाज, सदर, लखनऊ ने सुदीर्घ सेवाओं के लिए आपको सम्मानित किया था। इसका पता भी संयोगवश ही मुझे लग पाया। दरअसल मैं घर की लॉबी में रखे हुए चित्रों को रुचि पूर्वक देख रहा था । तो अपने टिप्पणी की कि आपके कमरे में और भी अधिक फोटो रखे हुए हैं । उन्हें अगर देखें तो आपको और भी अच्छा लगेगा। सुनकर मैं आपके कमरे में फोटो देखने के लिए चला गया। वहीं पर फोटो देखते-देखते सम्मान पत्र तथा उससे जुड़े हुए कुछ फोटो भी देखने में आ गए । जब पूछा तो सहज भाव से कहने लगीं, हॉं ! पिछले साल हमें सम्मानित किया गया था ।
यह सब आपकी इच्छाओं से रहित जीवन-वृत्ति को दर्शाता है। हमारा सौभाग्य है कि आप हमारी पुत्रवधू डॉक्टर प्रियल गुप्ता की दादी हैं ।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451