अम्बे तू गौरी
माँ अम्बे तू गौरी ,
तेरे ही रूप अनेक ,
तू तीनों लोक में प्रसिद्ध ,
सबकी इक्षा पूर्ण करने वाली ,
नव नामों से तू पुकारी जाती ,
प्रथम तू शील तपस्या से परिपूर्ण ,
शैलपुत्री से जानी जाती ,
दूसरी ब्रह्मा जी की स्वरूप प्राप्त ,
ब्रह्मचारिणी से प्रसिद्ध हुई ,
तीसरी तू चन्द्र घंटा में स्थित ,
चंद्र-घंटा से चरीचार्थ हुई ,
संसार जिनके उदर में स्थित हो ,
उस देवी के चौथे रूप कूष्माण्डा से जानी जाती ,
माँ शक्ति से उत्पन्न , सनतकुमार के नाम से ,
पाँचवीं रूप को स्कंदमाता से प्रसिद्ध हुई ,
महर्षि कात्यायन के आश्रम से प्रकट हुई ,
माँ के छठे रूप को कात्यायनी कहते है ,
सब दुष्टों को संहार करने वाली काल के रात्रि ,
माँ के सातवें रूप को काल-रात्रि कहते है ,
महान गौरवपूर्ण तपस्या द्वारा प्राप्त ,
माँ के आठवीं रूप को महागौरी कहते है ,
तीनों लोक में सबको मोक्ष प्रदान करने वाली ,
माँ के नवे रूप को सिद्धिदात्री के नाम से जानते हैं ,
नवरात्रि में नौ रूपों के नाम से प्रसिद्ध ,
तेरे रूप तीनों लो-को में प्रसिद्ध ,
तू माँ संसार में महान ,
तू दुःख हरनी माँ , तू सुख करनी ,
तेरे पूजन तेरे सारे जीवन का उद्धार होता ,
माँ तू जग में महान ।