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11 Apr 2022 · 5 min read

अम्बेडकर जी के सपनों का भारत

राजनीतिक चिंतक अर्थशास्त्री समाज सुधारक का कानूनवेता संविधान शिल्पी शिक्षाविद गरीबों के मसीहा डॉ भीमराव अंबेडकर बहुआयामी व्यक्तित्व की मिसाल है बाबासाहेब सर्वकालिक वैश्विक महापुरुष है परंतु अक्सर उन्हें कुछ ही संदर्भ में समझने की कोशिश होती रही है विलक्षण प्रतिभा के बल पर गरीबों और वंचितों के उत्थान हेतु कार्य करते हुए अपने जीवन काल में ही बाबासाहेब बहुसख्य आबादी की उम्मीदों का केंद्र बने। भारतीय समाज के बहुसंख्यक तबके की लाचारी एवं बेबसी के स्वानुभव से उनका सामाजिक चिंतन सामने आया है सामाजिक कुरीतियों एवं अन्याय का डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान से प्रतिकार कर भाभी समाज की दिशा एवं दशा तय की एक ऐसा समाज चाहते थे जिसकी बहू जिसकी बुनियाद स्वतंत्रता समानता समता एवं भ्रातृत्व के आदर्शों पर आधारित हो
बाबा साहेब द्वारा स्थापित दलित हितकारिणी सभा के आदर्श वाक्य शिक्षित हो संगठित हो आंदोलन करो से उनकी शिक्षा के प्रति मेहता स्पष्ट होती थी शिक्षा समाज में प्रगति एवं बदलाव की बुनियाद बन सकती हैं हालिया लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बाबा साहेब के शिक्षा दर्शन के संदर्भ में समझने की जरूरत है बाबासाहेब के सामाजिक लोकतंत्र के विचार में शिक्षा मानव गरिमा एवं समतामूलक समाज का जरिया है बाबासाहेब राष्ट्र की जरूरतों के साथ जुड़ने के लिए शिक्षा को समाज से संबंध करना चाहते थे यही सामाजिक परिवर्तन एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना का साधन भी बन सकती हैं बाबा साहेब का शिक्षा दर्शन मानवता समानता स्वतंत्रता लोकतंत्र और नैतिकता के सिद्धांतों से प्रेरित हैं जाति लिंग और संस्कृति की निवेदिता के बावजूद मानव प्रेम करुणा एवं बंधुत्व संबंधित मूलभूत विशेषताएं रखता है बाबासाहेब एक्सप्रेस था जाति व्यवस्था और वर्ग वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष में शिक्षा को अनिवार्य मानते हैं परिस्थितियां बहुसंख्यक को उनके तमाम कोशिशों के बावजूद असमान एवं वंचित बनाए रखती हैं समानता है तू ऐसे लोगों की को परिस्थितियों के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता है बाबासाहेब जटिल सामाजिक संबंधों संरचना एवं श्रम विभाजन के अंतर्गत संसाधनों अब तक की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु शिक्षा को जरूरी मानते थे भारत में सामाजिक बदलाव का रास्ता इतना आसान भी नहीं था इसके समर्थक तो कहीं आलोचक थे बाबासाहेब समाज के वंचित वर्गों के लिए शिक्षा को बुनियादी बात समझते थे शिक्षा की महत्ता व्यक्तित्व विकास अथवा आजीविका के काबिल बना ने मात्र तक ही सीमित ना होकर समाज में वांछित अली एवं सुधार लाने का शक्तिशाली जरिया है भारतीय बहुलवादी समाज में शिक्षा वंचितों पक्षियों एवं मजे लो के लिए मददगार है वस्तु बाबासाहेब शिक्षा को सामाजिक बदलाव की शुरुआत टी सर्च मानते थे वर्ष 1927 में मुंबई यूनिवर्सिटी बिल एवं परिषद में एक के दौरान बाबासाहेब ने तर्क दिया पिछड़े वर्गों को एहसास हो गया आखिर शिक्षा ही सबसे बड़ा भौतिक लाभ जिनके लिए लड़ सकते हैं बाबा सर ने शिक्षा को दलितों में अज्ञानता अंधविश्वासों को दूर कर अन्याय शोषण उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के लिए जरूरी माना है शिक्षा श्रम विभाजन के सदियों पुराने जाति आधारित ढांचे को तोड़ने का मजबूत हथियार बनेगी अंबेडकर के पाठ्यक्रम शिक्षा शास्त्र सार्वजनिक शिक्षा मूल्यांकन छात्र नेता चौधरी पर अपने विचार थे अच्छी शिक्षा हेतु अनेक बातें जरूरी होती है परंतु इनमें महत्वपूर्ण होता है सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम हो बाबासाहेब ने कटिंग एवं विस्तृत पाठ्यक्रम का विरोध किया क्योंकि छात्रों पर अनावश्यक बोझ बनते हैं

संक्षिप्त पाठ्यक्रम का विरोध करते हुए शिक्षकों को आवश्यक स्वतंत्रता देते हुए पाठ्यक्रम पर अपने छात्रों का आकलन करने को कहा व्यापक दिशानिर्देश के लिए अतिथि शिक्षकों को शिक्षण एवं सिखाने की आजादी होनी चाहिए विश्वविद्यालय शिक्षकों को उचित सुरक्षा उपाय के तहत छात्रों की शिक्षा और मूल्यांकन पर नियंत्रण होना चाहिए बाबासाहेब ने तत्कालीन शिक्षा प्रणाली जो शिक्षा मानकों के साथ बारीकी से जुड़ी हुई थी की कड़ी आलोचना की समकालीन शिक्षाविदों की राय की शिक्षा मित्र को परीक्षा प्रणाली बढ़ाती हैं का बाबासाहेब ने विरोध किया उन्होंने छात्रों के सतत मूल्यांकन पर जोर दिया उन्होंने उच्च डिग्री के लिए मौखिक परीक्षा की वकालत की परंतु परीक्षाओं का दबाव कम करने के लिए थे माहिती जिससे छात्रों को सीखने का अवसर मिल सके प्राथमिक शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है भारतीय संविधान में 14 वर्ष की उम्र तक बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है बाबा साहिब ने लोगों के सम्मान एवं विकास के लिए उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित किया उनका मानना था कि किसी समुदाय की प्रगति हमेशा इस बात पर निर्भर करती हैं कि कैसे वे उच्च शिक्षा में आगे बढ़े यही कारण था कि उन्होंने प्राथमिक शिक्षा की अपेक्षा उच्च शिक्षा पर अधिक जोर दीया बाबासाहेब को उच्च शिक्षा का अनुभव था वह चाहते थे कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षा एकत्रित एकीकृत हो जिसमें कॉलेजों को समान रूप से भागीदारी होना चाहिए विश्वविद्यालय शिक्षा का उद्देश्य शास्त्रों में वैज्ञानिक सोच चरित्र निर्माण आरक्षित वन तथा व्यक्तित्व नियम होना चाहिए बाबासाहेब के लिए पुस्तकालय मात्र एक इमारत नहीं अपितु पुस्तकों पठन-पाठन सामग्री एवं उपकरणों से सुसज्जित पढ़ने एवं सीखने की जगह पुस्तकालय शिक्षा संस्थानों का अनिवार्य हिस्सा बनना चाहिए एवं शैक्षणिक प्रक्रिया में केवल किताबी ज्ञान पर विश्वास नहीं करते थे उन्होंने शैक्षणिक गतिविधियों के साथ सभी संस्थानों में पाठ्यचर्या गतिविधियों की आवश्यकता बताई शिक्षा नीति 2020 अपने उद्देश्यों में बाबासाहेब के विचारों की शिक्षा को मानवीय क्षमता अर्जित कर समतामूलक न्याय संगत समाज एवं राष्ट्रीय विकास का बुनियादी मानती हैं समावेशी समाज उचित शिक्षा न केवल स्वयं में एक लक्ष्य हैं बल्कि समतामूलक न्याय संगत तथा समावेशी समाज निर्माण का प्रारंभिक कदम भी हैं

प्रत्येक नागरिक का विशेषकर वंचित समूह को सपने संजोने विकास करने तथा राष्ट्रहित में योगदान करने के अवसर उपलब्ध हो देश की प्रतिभाओं को सार्वभौम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना व्यक्ति समाज की भलाई अतुल संसाधनों की विकसित कर समृद्ध अधिकतम करने का तरीका है महत्वपूर्ण यह है कि बदलते रोजगार परिदृश्य एवं वैश्विक का पारिस्थितिकी मैं बच्चे ना केवल सीखे बल्कि सीखना कैसे हैं यदि सिक्के शिक्षा विषय वस्तु तार्किक सोच एवं समस्याओं को हल करना सीखने की दिशा में बेहतर रचनात्मक एवं भविष्य होने जा रही हैं अधिक अनुभव एकीकृत खोजो नमक सीखना केंद्रित एवं लचीली बनने को तैयार हैं कार्यक्रम में कला शिल्प मानविकी खेल और फिटनेस भाषा साहित्य संस्कृति और मूल्य शामिल होना शिक्षा अधिकारी तरह से सीखने वाले को संपूर्ण बनाते हुए रोजा प्रमुख बनने को अग्रसर हैं

शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
बागोड़ा जालोर-343032

Language: Hindi
2 Likes · 1247 Views
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