अमोल रत्न बाबा साहब
सपने सच हो रहे तमाम,
हे स्वपनदृष्टा! तुमको प्रणाम
तुमने जो कर दिखाया है
मनुज सोच भी न पाया है
ऐसा प्रणबल,जिसकी न थाह
नापा संघर्ष-सागर अथाह
दिया संविधान,तुमने बेमिसाल
हम भारतीय,हुए हैं निहाल
दलित और बेबस था जो
उठा के सर,खड़ा है वो
मानव को मानव के समान
मिलने लगा हक और मान
सराहते तुम्हें विश्व ने कहा
न्याय प्रणेता,प्रतीक ज्ञान का
मानता तुम्हें यह संसार आज
अमोल रत्न तुम,भारत के ताज
(हेमा तिवारी भट्ट की ओर से बाबा साहब अम्बेडकर जी को सादर श्रद्धा सुमन)