अमूल्य निधि माँ
**** अमूल्य निधि माँ ****
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पीपल सी शीतल छाँव है माँ
मधुर , मृदुल एहसास है माँ
दरिया सी गहराई है दिल में
आँचल में छिपा लेती है माँ
एकता के सूत्र में हैं परोसती
घर परिवार की कर्णधार माँ
सब दुख सुख है समेट लेती
सागर सी दरियादिली है माँ
निज चाहत रहे सदा दबाती
सबकी इच्छा पूर्ण करती माँ
शांत,शीतल,शालीन स्वभाव
घर आंगन प्यार भरती है माँ
पूत कपूत चाहे हो जगत में
कुमाता कभी न होती है माँ
बहुत सारे रिश्ते हैं दुनिया में
रिश्तों में उत्तम होती है माँ
संतान के दुख स्वयं हर लेती
दुखहरणी,सुखदायिनी है माँ
संसार में नहीं कोई माँ तुल्य
नारी का सर्वोत्तम रूप है माँ
सदैव रहती है कष्टी सहती
सहनशीलता की मूरत है माँ
माँ बिन है जीवन अधूरा सा
जीवन को पूर्ण करती है माँ
नहीं मिलता जिंदगी में द्वारा
बहूमूल्य खजाना होती है माँ
दुख में मुख से माँ शब्द आए
पिता से पहले सदा होती माँ
माँ गमन संग लूटता खजाना
अमूल्य ,धरोहर निधि हैं माँ
सुखविन्द्र भी माँ बिन अधूरा
सदैव जहन में बसती है माँ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)