अमीन सयानी
“नमस्कार,,, भाइयों और बहनों, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूँ.” इस खनकती आवाज से स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाले श्री अमीन सयानी इस दुनिया में अब नहीं रहे। कल उनका निधन हो गया। यह उनके चाहने वालों के लिए अपूरणीय क्षति है।
अपने शानदार अन्दाज और दिलकश आवाज से लोगों को रेडियो का दीवाना बनाने वाले अमीन जी सन् 1952 से 1994 तक ‘गीत माला’ के प्रस्तोता रहे। उनके ही दम पर उस दौर में बिनाका गीत माला (बाद में नाम परिवर्तित होकर सिबाका गीत माला) को अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल हुई।
अमीन जी कहते थे कि अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच एक सम्बन्ध है। जीवन के हर पहलू में हमें अतीत से सीखना चाहिए, उसे वर्तमान में ढालना चाहिए और आने वाले कल की ओर बढ़ना चाहिए।
मेरी इन पंक्तियों के साथ आवाज के इस शहंशाह को शत शत नमन् करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि देता हूँ :
ऐसे शख्स काल को जीत लेते हैं
कभी नहीं मरते हैं,
यादों में, भावनाओं में और
मन की अतल गहराइयों में भी
सदा जिन्दा रहते हैं।
(मेरी कृति : ‘माटी का दीया’ से…)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्यकार/ प्रशासनिक अधिकारी
टैलेंट आइकॉन +
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।