Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2021 · 1 min read

अमिताभ बच्चन के पत्र

तब 19 वर्षीय मैंने उनकी फ़िल्मी-यात्रा की , भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके सनक की, असली मर्द होने की, शहंशाह होने की, किंतु इन सबसे ऊपर भारतीयता का भाव जगाते हुए यानी वे अभिनय के लिए ही बने हैं…. अमित जी को मैंने एक समीक्षात्मक-पत्र नवम्बर 1994 में रज़िष्ट्री डाक से भेजा।

दिनांक- 25 दिसम्बर 1994 को लिखित महानायक अमिताभ बच्चन के हस्ताक्षरित पत्र-वार्त्ता व जवाबी-पत्र मुझे प्राप्त हुआ और उसके बाद वे यंग एंग्रीमैन से महानायक बन गए और आज वास्तविक महानायक हैं। पत्र यह है, पढ़िए-

” प्रियवर सदानन्द, आपका पत्र तथा आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद ! आप जैसे प्रशंसक , शुभचिंतक और दोस्त मुझसे पत्र द्वारा संपर्क में रहते हैं, इसकी मुझे प्रसन्नता है।

फिलहाल मैंने कोई नई फ़िल्म अनुबंधित करने से पहले कुछ दिन विश्राम करने का निर्णय लिया है. शायद अब यह समय आ गया है कि मैं किसतरह के किरदार अदा करूँ , इसपर ध्यान दूं और यही वजह है कि मेरी निकट भविष्य में कोई फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो रही है।

परंतु भविष्य में मैं फिल्मों में जरूर काम करूंगा और इसकी जानकारी आपको फ़िल्म- पत्रिकाओं द्वारा मिल जाएगी। आपके लगातार हौसले और प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद !
शुभकामनाओं सहित।

सस्नेह- अमिताभ बच्चन”

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 298 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इतनी नाराज़ हूं तुमसे मैं अब
इतनी नाराज़ हूं तुमसे मैं अब
Dheerja Sharma
बिन बोले ही हो गई, मन  से  मन  की  बात ।
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
sushil sarna
@घर में पेड़ पौधे@
@घर में पेड़ पौधे@
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तरक़्क़ी देखकर फुले नहीं समा रहे थे ….
तरक़्क़ी देखकर फुले नहीं समा रहे थे ….
Piyush Goel
शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा व्यवस्था
Anjana banda
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
आर.एस. 'प्रीतम'
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
Dr MusafiR BaithA
*मेरी रचना*
*मेरी रचना*
Santosh kumar Miri
2543.पूर्णिका
2543.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चन्द्रमा
चन्द्रमा
Dinesh Kumar Gangwar
बाल कविता मोटे लाला
बाल कविता मोटे लाला
Ram Krishan Rastogi
गुज़रा है वक्त लेकिन
गुज़रा है वक्त लेकिन
Dr fauzia Naseem shad
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
।। अछूत ।।
।। अछूत ।।
साहित्य गौरव
आम की गुठली
आम की गुठली
Seema gupta,Alwar
*
*"आज फिर जरूरत है तेरी"*
Shashi kala vyas
ये दुनिया घूम कर देखी
ये दुनिया घूम कर देखी
Phool gufran
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
Shweta Soni
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
Ravi Prakash
पिता का बेटी को पत्र
पिता का बेटी को पत्र
प्रीतम श्रावस्तवी
सम्बन्ध वो नहीं जो रिक्तता को भरते हैं, सम्बन्ध वो जो शून्यत
सम्बन्ध वो नहीं जो रिक्तता को भरते हैं, सम्बन्ध वो जो शून्यत
ललकार भारद्वाज
दुश्मन से भी यारी रख। मन में बातें प्यारी रख। दुख न पहुंचे लहजे से। इतनी जिम्मेदारी रख। ।
दुश्मन से भी यारी रख। मन में बातें प्यारी रख। दुख न पहुंचे लहजे से। इतनी जिम्मेदारी रख। ।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
*प्रणय प्रभात*
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
The_dk_poetry
फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी
फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी
gurudeenverma198
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
...........,,
...........,,
शेखर सिंह
"उजला मुखड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
चाँदनी रातों में बहार-ए-चमन,
चाँदनी रातों में बहार-ए-चमन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...