Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2023 · 7 min read

*अमर शहीद राजा राम सिंह: जिनकी स्मृति में रामपुर रियासत का न

अमर शहीद राजा राम सिंह: जिनकी स्मृति में रामपुर रियासत का नामकरण हुआ था
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍂
राजा राम सिंह रामपुर रियासत के सर्वप्रथम स्वतंत्रता सेनानी तथा सर्वप्रथम अमर शहीद थे। उन्होंने अपना सिर कटा दिया, किंतु मुगल शासकों की पराधीनता स्वीकार नहीं की।
भारत के जिन महान स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है, राजा रामसिंह का नाम उनमें सर्वोपरि है। आप रामपुर रियासत के पितामह कहे जा सकते हैं। सन् 1626 ईसवी में आप कठेर खंड के नाम से विख्यात विस्तृत रियासत के शासक थे। धर्मप्राण और न्यायप्रिय शासक के रूप में आपकी ख्याति संपूर्ण कठेर ही नहीं अपितु भारत भर में व्याप्त थी। शत्रु आपकी कठेर रियासत को कुटिल दृष्टि से देखते तो थे, लेकिन आपकी वीरता और शौर्य के आगे निस्तेज नजर आते थे।
इतिहासकारों के अनुसार “1624 में जहांगीर ने राजा के विरुद्ध कार्यवाही आरंभ कर दी थी। रुस्तम खां को नियुक्त किया। जिसने धोखे से राजा की हत्या कर दी।” (भारत के इतिहास में मुरादाबाद का स्थान: लेखक डॉ अजय अनुपम पृष्ठ 27)

जहांगीर के बाद शाहजहां भारत का बादशाह हुआ।जब युद्ध-क्षेत्र में आपको पराजित करना शत्रुओं के लिए संभव नहीं हो सका, तब एक दिन 1626 ईस्वी में जब आप पूजा के समय बैठे हुए थे, ध्यानावस्थित मुद्रा में थे; तब शाहजहॉं के सेनापति रुस्तम खॉं ने धोखे से आप पर आक्रमण किया और तलवार से आपकी गर्दन काट दी। यह एक महान देशभक्त और स्वतंत्रता प्रिय शासक के जीवन का अंत था। इस बलिदान से जहॉं एक ओर राष्ट्र को भारी क्षति पहुॅंची, वहीं दूसरी ओर कठेर रियासत छिन्न-भिन्न हो गई।
🍃🍃🍃🍃🍃🍂
कठेर का वैदिक संस्कृति से संबंध

कठेर शब्द की उत्पत्ति पर विद्वानों ने विचार किया है। अपने शोध प्रबंध “भारत के इतिहास में मुरादाबाद का स्थान” में डॉक्टर अजय अनुपम ने कठ शब्द को यजुर्वेद की कठ शाखा से संबंधित होना बताया है। इसका अभिप्राय यह है कि जो इस शाखा के अनुयाई हैं, वे इसके अंतर्गत आते हैं।
इसी बिंदु पर हमारा ध्यान कठ नामक उपनिषद पर भी जाता है। कठोपनिषद में बालक नचिकेता ने भूख प्यास और मृत्यु से जूझते हुए यमराज से ब्रह्म-ज्ञान प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की थी। इधर हम देखते हैं कि राजा राम सिंह भी कठेर शासन के अंतिम स्तंभ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञान में निपुण हैं। पूजा के समय ध्यानावस्थित अथवा समाधिस्थ होने की कला उन्हें आती थी। उनकी ध्यान साधना उच्च कोटि की थी। तभी तो वह पूजा करते समय अपने शरीर और संसार से संबंध खो देते थे। जिस का गलत फायदा उठा कर मुगल शासकों ने उनके प्राणों का हरण किया था।
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍂
कठेर एक विस्तृत भू-भाग
——————————
कठेर एक विस्तृत भूभाग था । इसमें वर्तमान समय के रामपुर और मुरादाबाद दोनों स्थान शामिल थे। रुस्तम खॉं ने राजा रामसिंह की शहादत के उपरांत कठेर के एक हिस्से पर कब्जा करके इसका नाम रुस्तम नगर कर दिया लेकिन जब शाहजहॉं तक इसकी सूचना पहुंची और रुस्तम खां को शाहजहां ने अपने दरबार में तलब किया तब वहॉं जाकर रुस्तम ने शाहजहॉं से यही कहा कि उसने राजा रामसिंह से जीते हुए कठेर खंड के एक भाग का नाम रुस्तम नगर नहीं रखा है अपितु शाहजहां के पुत्र मुराद के नाम पर उसका नाम मुरादाबाद रखा है। इस तरह रुस्तम खॉं अपनी कूटनीति में सफल रहा।

यद्यपि मुरादाबाद शाहजहॉं के आधिपत्य में आ गया, लेकिन कठेर खंड का जो हिस्सा बचा था; उसको राजा रामसिंह के अनुयायियों ने बड़ी सूझबूझ और वीरता से बचा कर रखा। अपने महान दिवंगत राजा की स्मृति में उस हिस्से का नाम उन्होंने रामपुर रख दिया। इस तरह रामपुर रियासत का जन्म हुआ।
कठेर का जो दबदबा था, वह तो रामपुर रियासत में राजा रामसिंह के नाम पर नामकरण करने के बाद भी कायम नहीं हो सका। राजा रामसिंह का स्वर्ण युग फिर नहीं लौटा। छिन्न-भिन्न कठेर रियासत का रामपुर राज्य अपेक्षाकृत कमजोर सिद्ध हुआ तथा अगले एक सौ वर्षों में इस पर अफगानिस्तान के रुहेला योद्धाओं ने अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया। 1774 ईस्वी में विधिवत रूप से रामपुर में फैजुल्ला खॉं की नवाबी रियासत शुरू हो गई।

राजा रामसिंह की स्मृति को दरकिनार कर इस बात की कोशिश हुई कि रामपुर का नाम बदलकर मुस्तफाबाद कर दिया जाए। अनेक पुरानी पुस्तकों में रामपुर को मुस्तफाबाद कहकर संबोधित भी किया गया है। लेकिन यह नाम-परिवर्तन की कवायद सफल नहीं हो पाई। रामपुर रामपुर ही रहा।

राजा रामसिंह की स्मृति देशभक्ति की भावनाओं को प्रज्ज्वलित करने में समर्थ है। यह कठेर खंड के रूप में एक विस्तृत मंडल के रूप में क्षेत्र की प्रमुख विशेषता को दर्शाती है। राजा रामसिंह ध्यान-योग के उपासक थे । जब पूजा में बैठते थे, तो उनका ईश्वर से साक्षात्कार हो जाता था। राजा रामसिंह नहीं रहे, लेकिन उनका शासन काल उनकी रियासत के लोग कभी नहीं भूले।
राजा रामसिंह की शासन व्यवस्था में अपनी भाषा और अपनी संस्कृति की जड़ें गहराई तक उपस्थित थीं। अपने देश और अपनी माटी के स्वाभिमान की रक्षा के लिए राजा रामसिंह ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, लेकिन अपने अनुयायियों को वह पद-चिन्ह भी सौंप दिए, जिन पर चलकर एक सुसंस्कृत राज्य-व्यवस्था की स्थापना संभव है।
राजा रामसिंह रामपुर रियासत के पितामह हैं। उनकी स्मृतियॉं यहॉं के निवासियों के हृदयों में सदैव सजीव रहेंगी ।
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
नवाबों से पहले का इतिहास
———————————-
नवाबों से पहले का रामपुर का इतिहास शोध का रोचक विषय है।

इतिहासकारों के अनुसार “रामपुर रियासत 1774 ईस्वी में जब एक पृथक राज्य के रूप में स्थापित हुई उस समय यहाँ पर बहुत कम मौहल्ले थे । जिनमें सबसे प्राचीन मोहल्ला राजद्वारा था। कहा जाता है कि प्राचीन राजाओं के वंशज जो कि कठेरिया राजपूत हुआ करते थे ,वह यहीं रहा करते थे।” ( रामपुर रजा लाइब्रेरी फेसबुक पेज 3 अप्रैल 2020 लेखक सय्यद नावेद कैसर शाह)

17 जून 2021 अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट में डॉ अजय अनुपम प्रसिद्ध इतिहासकार पीएचडी एवं डीलिट के अनुसार “ठाकुर राम सिंह कठेरिया की याद में ही रामपुर बसाया गया था। जो बाद में नवाबी रियासत हो गया था”

एक अन्य इतिहासकार के शब्दों में “रामपुर पहले चार गाँवों का एक खंड था। कठेर के राजा रामसिंह के नाम पर रमपुरा मशहूर था। ठोठर और राजद्वारा चार गाँवों में से पुराने आबाद हैं ।” (रामपुर का इतिहास लेखक शौकत अली खां एडवोकेट पृष्ठ 33)

इस तरह यह स्पष्ट हो रहा है कि कि रामपुर का नामकरण कैसे हुआ तथा यह भी पता चलता है कि राजद्वारा यहाँ की सबसे पुरानी आबादी वाला क्षेत्र अर्थात कस्बा या मोहल्ला या गाँव जो भी कह लीजिए था।
राजद्वारा आज भी खूबसूरती के साथ बसा हुआ है । यह रामपुर शहर का हृदय स्थल है तथा बाजार की मुख्य सड़क पर स्थित है । अन्य मोहल्ले कौन-कौन से रहे होंगे, इस पर प्रकाश नहीं पड़ता । लेकिन राजद्वारा के आसपास पीपल टोला, चाह इंछाराम और कूँचा परमेश्वरी दास हिंदुओं के निवास का पुराना क्षेत्र रहा है। संभवतः यह मौहल्ले राजद्वारा का ही एक अंग हो सकते हैं , क्योंकि यह बहुत पास-पास हैं । जिन अन्य तीन गाँवों का उल्लेख किया गया है उनमें एक तो ठोठर हो गया ,बाकी दो का पता नहीं।

एक शोध में रामपुर के पुराने किले के बारे में चर्चा है तथा नवाब हामिद अली ख़ाँ के जमाने का किले का एक नक्शे का उल्लेख है जिसमें किले के बाहर की ओर पुराना किला स्थित दर्शाया गया है । शोधकर्ता ने इस किले को जच्चा – बच्चा सेंटर /पुरानी कोतवाली आदि की इमारत अर्थात हामिद गेट के सामने के स्थान के रूप में खोजा है । (रामपुर रजा लाइब्रेरी फेसबुक पेज 3 अप्रैल 2020 लेखक सय्यद नावेद कैसर शाह)

इस खोज में दम है क्योंकि ” ओल्ड फोर्ट बिजलीघर” के नाम से बिजली विभाग के पुराने पत्राजातों में भी “पुराना किला “शब्दावली प्रयोग में आती रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि वास्तव में कोई पुराना किला मौजूद है।
पुराने किले के शिलान्यास का कोई स्पष्ट विवरण प्राप्त नहीं हो रहा है।

दूसरा और भी ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न ” मछली भवन” का है । शोधकर्ताओं के अनुसार (रामपुर रजा लाइब्रेरी फेसबुक पेज 7 अप्रैल 2020 प्रस्तुति सनम अली खान एवं निदा परहीन ) मछली भवन नवाब कल्बे अली खाँ के “दीवाने खास” के रूप में प्रयोग में लाया जाता था तथा नवाब हामिद अली ख़ाँ ने इसका सुंदरीकरण और विस्तार किया । लेकिन मछली भवन के शिलान्यास का विवरण भी इतिहास की पुस्तकों में अभी तक सामने नहीं आया है । भवन के नामकरण में मछली का प्रयोग तथा साथ ही यह तथ्य कि किले के पश्चिमी दरवाजे हामिद गेट के शिखर पर मछली की मूर्ति भी स्थापित है, शासन तंत्र में मछली के प्रति विशेष आकर्षण के बारे में खोज की मॉंग करता है।

नवाबी शासन की स्थापना 1774 ईसवी से पूर्व के किसी मंदिर के विद्यमान होने के कोई प्रमाण अभी तक ज्ञात नहीं हो सके हैं । यह भी खोज का एक आयाम है।
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍂
उदार शासक नवाब कल्बे अली खॉं और नवाब रजा अली खॉं

नवाबी शासन 1774 ईसवी में स्थापित होने के सौ वर्ष से अधिक समय बाद नवाब कल्बे अली खॉं के शासन में पंडित दत्त राम का शिवालय मंदिर वाली गली में स्थापित हुआ । ऐसा कहा जाता है कि स्वयं नवाब साहब ने सोने की ईंट रखकर मंदिर का शिलान्यास किया।
अंतिम शासक नवाब रजा अली खॉं भी उदार प्रवृत्ति के थे । उन्होंने पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थियों को रामपुर रियासत के विभिन्न राजकीय भवनों में बसाने का इंतजाम किया था। रामपुर में गॉंधी समाधि भी आपकी ही भारत-भक्ति की देन है।
——————————————
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)_
मोबाइल 99 97 61 5451

234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
Anand Kumar
4690.*पूर्णिका*
4690.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*लंक-लचीली लोभती रहे*
*लंक-लचीली लोभती रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
Phool gufran
खूब लगाओ डुबकियाँ,
खूब लगाओ डुबकियाँ,
sushil sarna
खुद से खुद को
खुद से खुद को
Dr fauzia Naseem shad
जीवन में
जीवन में
ओंकार मिश्र
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
*सत्पथ पर सबको चलने की, दिशा बतातीं अम्मा जी🍃🍃🍃 (श्रीमती उषा
*सत्पथ पर सबको चलने की, दिशा बतातीं अम्मा जी🍃🍃🍃 (श्रीमती उषा
Ravi Prakash
Compassionate companion care services in Pikesville by Respo
Compassionate companion care services in Pikesville by Respo
homecarepikesville
केवल
केवल
Shweta Soni
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
अमित
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
Ashwini sharma
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
नियत और सोच अच्छा होना चाहिए
नियत और सोच अच्छा होना चाहिए
Ranjeet kumar patre
तुम्हारे सॅंग गुजर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
तुम्हारे सॅंग गुजर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
सत्य कुमार प्रेमी
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
Rj Anand Prajapati
परिसर खेल का हो या दिल का,
परिसर खेल का हो या दिल का,
पूर्वार्थ
इसके सिवा क्या तुमसे कहे
इसके सिवा क्या तुमसे कहे
gurudeenverma198
साहित्य में बढ़ता व्यवसायीकरण
साहित्य में बढ़ता व्यवसायीकरण
Shashi Mahajan
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
Dr.sima
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
यह क्या है?
यह क्या है?
Otteri Selvakumar
जिसनै खोया होगा
जिसनै खोया होगा
MSW Sunil SainiCENA
हर किसी में आम हो गयी है।
हर किसी में आम हो गयी है।
Taj Mohammad
नाकाम किस्मत( कविता)
नाकाम किस्मत( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
‘ विरोधरस ‘---8. || आलम्बन के अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---8. || आलम्बन के अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
"प्यास का सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...